चीन को लाल आँख दिखाने का जुमला पड़ा देश को भारी


चीन को लाल आँख दिखाने का जुमला पड़ा देश को भारी

चीन का भारतीय क्षेत्र पर बढ़ा कब्जा, भारत से छिनी जमीन , बफर जोन के नाम पर मेजर शैतान सिंह का मेमोरियल हुआ ध्वस्त । 

विदित हो कि रेजांगला युद्ध (18 नवम्बर 1962) में 13 कुमाऊ रेजीमेंट की चार्ली बटालियन के 124 भारतीय जवानों के शौर्य एवं बलिदान के प्रतीक के तौर पर वर्षों से मौजूद परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह का चुशूल लद्दाख स्थित मेमोरियल चीन से समझौता कर बफर जोन के नाम पर 10 फरवरी 2021 को ही विघटन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में ध्वस्त किया जा चुका है । 

लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल के सदस्य खोनचोक स्टैनजिन ने 25 दिसंबर को यह दावा किया कि LAC पर रेजांगला में बना मेजर शैतान सिंह का मेमोरियल तोड़ दिया गया है। जून 2020 में हुई गलवान झड़प के बाद यह इलाका बफर जोन बना दिया गया है।

स्टैनजिन ने टेलीग्राफ को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि मुखपारी से रेचिनला और रेजांगला तक का पूरा क्षेत्र अब बफर जोन में है और इसमें सैनिकों और नागरिकों किसी के भी आने-जाने पर रोक है। यहां तक कि हमारे खानाबदोश (चरवाहे) भी गर्मियों में वहां नहीं जा पाते।

रेजांगला से करीब 2 किलोमीटर दूर जहां यह मेमोरियल था, यह वही जगह है जहां 1962 में परमवीर चक्र से सम्मानित मेजर शैतान सिंह का शव मिला था। भारतीय सेना ने ऑपरेशन स्नो लेपर्ड के दौरान हजारों चीनी सैनिकों से मुकाबले के बाद यहां कब्जा किया था। स्टैनजिन ने जो तस्वीर शेयर की है, उससे पता चलता है कि स्मारक अक्टूबर 2020 तक भारतीय नियंत्रण में था, जब कुमाऊं रेजिमेंट की 8वीं बटालियन ने इसका नवीनीकरण किया।

केन्द्र सरकार देश के साथ हुए इस विश्वासघात की जानकारी एवं अपना मुहँ दोनों छिपाने में जुटी हुई थी और अभी भी देश की आंखों में धूल झौंकने का क्रम लगातार जारी है। 

देश के लोग 'राम मंदिर' निर्माण एवं मुसलमानों में व्याप्त भय से पगलाए जा रहे हैं । 

विधर्मियों खासकर मुसलमानों के प्रति कुन्ठा, नफरत एवं धार्मिक उन्माद की रतौंधी में उन्हें  वास्तविक घरातल पर हो रही देश की बर्बादी एवं हानि दिखाई देना बंद हो गई है । 

धूर्तों द्वारा फैलाई गई मूर्खता पर देश की भोली भाली जनता यही सोच कर अपनी ही बर्बादी से बेपरवाह है कि —

देश सुरक्षित हाथों में है । 


मोदी है तो मुमकिन है ।


ना कोई घुसा है,ना कोई घुसा हुआ है और ना ही कोई पोस्ट चीन के कब्जे में है।


जबकि कड़वा सच ये है कि अप्रेल 2020 में गलवान संघर्ष के बाद से भारत का करीब 2000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र चीन के कब्जे में चला गया है। 

पेंगांग एरिए का पैट्रोलिंग पाइंट, गलवान में पीपी—14, गोगरा में पीपी—17 एवं सोर्सपेंग में पीपी—15 आज भारत के नियंत्रण से बाहर हो गए हैं तथा चीन द्वारा उन्हें जबरन बफर जोन घोषित करवा दिया गया है। 

आखिर क्या कारण है कि चीन को लाल आँख दिखाने की बात करने वाले नरेन्द्र मोदी की जबान चीन का नाम तक तक लेने में चिपक जाती है ? 

चीन पर हमारे 56 इंची शेर की चुप्पी बेहद चौंकाने वाली एवं ख़तरनाक है । इस चुप्पी का जवाब  मोदी जी एवं उनकी सरकार को भी देश के सामने रखना चाहिए तथा देश की जनता को भी इसकी खोज करने का प्रयास करना चाहिए ?

युद्ध में हार के चलते कब्जा हो जाए तो बात फिर भी जंचती है परंतु अपने एवं अपनों के निजी राजनीतिक एवं व्यापारिक हितों के चलते देश की जमीन पर कब्जे को मौन सहमति प्रदान कर दी जाए या अन्य शब्दों में देश की जमीन का सौदा कर लिया जाए तो इसे देश से गद्दारी कहते हैं । 

प्रश्न पूछना देश के प्रत्येक आम नागरिक एवं देश के पत्रकारों का अधिकार भी है और दायित्व भी है । बतौर नागरिक एवं पत्रकार हम अपने हिस्से का दायित्व निभा रहे हैं । 

हमारे तथ्य भी कुछ 19—20 हो सकते हैं क्योंकि वैधानिक स्थिति तो केन्द्र सरकार स्पष्ट करेगी और वो चुप है,  केन्द्र की चुप्पी हमारे प्रश्नों एवं संदेह को निरंतर बढ़ा रही है।

अत: अब जवाब देने की बारी देश के प्रधान सेवक नरेन्द्र मोदी, उनके मंत्रिमंडल एवं समर्थकों की है तथा राष्ट्र मंथन की बारी देश के प्रत्येक देशभक्त की है । 

प्रधान सेवक जवाब दे कि —

(1) क्या बफर जोन के लिए भारत को अपनी जमीन छोडनी पड़ी है ? 

यदि नहीं तो मेजर शैतान सिंह मेमोरियल को ध्वस्त क्यों किया गया ? 

और यदि हाँ तो देश से ये झूठ क्यों बोला जा रहा है कि देश की एक इंच भी जमीन नहीं गई है ? 


(2) कब्जे के बावजूद चीन का नाम नहीं लेने का कारण आखिर क्या है ?


(3) प्रधान सेवक संदेह दूर करने के लिए न्यायपालिका ,मीडिया एवं विपक्ष की संयुक्त टीम को सीमावर्ती क्षेत्र का अवलोकना क्यों नहीं करवा देती है ?

देश का प्रत्येक देशभक्त राष्ट्र मंथन करे और सोचे कि——

(1) क्या मोदी सरकार ने चीन के सामने सरेंडर कर दिया है ? 

(2) क्या किसी व्यक्ति या दल की भक्ति 'राष्ट्र भक्ति' से भी अधिक जरूरी हो गई है ? 

(3) क्या हिन्दू गौरव राष्ट्र गौरव से भी अधिक महत्वपूर्ण हो चुका है ?

(4) क्या हिन्दू राष्ट्र का पागलपन भारत जैसे महान राष्ट्र को अस्थिरता एवं विघटन की ओर तो नहीं धकेल रहा है ?

(5) क्या देश वाकई में सुरक्षित हाथों में है ?

जय हिंद! जय भारत! जय जगत! जय गणतंत्र ! जय संविधान

शुभेच्छु!

अनिल यादव

संपादक,बैस्ट रिपोर्टर न्यूज।

अध्यक्ष, जन संप्रभुता संघ ।

अध्यक्ष, सतपक्ष पत्रकार मंच ।

9414349467