सुधार की बजाय सिधार जाएगी शिक्षा व्यवस्था,सुप्रीम कोर्ट करे पुर्नविचार


1 सितम्बर 2025 को शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता व जवाबदेहिता सुनिश्चित करने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक खास फैसला दिया गया है । 

फैसले के मुताबिक सेवानिवृत्ति में 5 साल से अधिक समय रखने वाले कक्षा 1 से 8 वीं तक को पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों को पदोन्नति के लिए एवं सेवा में बने रहने के लिए अगले दो साल में टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य किया गया है । टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं करने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की बात भी कही गई है ।

सुप्रीम कोर्ट का उक्त फैसला देखने में तो शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाना वाला दिखाई देता है परन्तु गहराई से देखने पर इस फैसले से शिक्षा व्यवस्था में सुधार की बजाय शिक्षा व्यवस्था के सिधार जाने की संभावना अधिक दिखाई देती है। 

यह फैसला सेवारत शिक्षकों को बच्चों की शिक्षा एवं स्वयं की नौकरी दोनों में से किसी एक को चुनने की स्थिति में लाकर खड़ा कर देगा जिसका परिणाम ये होगा कि शिक्षक अपने शिक्षण कार्य से समझौता करके अपनी नौकरी को बचाने के लिए जरूरी परीक्षा टीईटी की तैयारी में लग जाएंगें । 

शिक्षकों के स्वयं ही परीक्षा की तैयारी में जुट जाने पर देश भर में उच्च प्राथमिक स्कूलों में खासकर सरकारी स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था धराशाही हो जाएगी व भारत की अधिकांश गरीब आबादी का शैक्षणिक भविष्य अंधकार में डूब जाएगा । 

सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों का नजरिया पहले से ही अच्छा नहीं है, लगातार नामांकन घट रहा है, सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के अपनी स्वयं की परीक्षा में फंस जाने से उत्पन्न नकारात्मक प्रभाव के चलते सरकारी स्कूलों का नामांकन तेजी से घटेगा और वो बंद होने के कगार पर खड़े हो जाएगें । 

वैसे भी इस फैसले से निजी स्कूलों के शिक्षकों को दूर रखा गया है, निजी स्कूलों पर इस प्रकार की कोई बाध्यता नहीं होने के कारण शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार का प्रयास सिर्फ दिखावा बनकर रह जाएगा तथा यह फैसला  शिक्षा के अधिकार अधिनियम के मूल उदेश्य को पूरा नहीं कर पाएगा । 

विदित हो कि टीईटी परीक्षा की शुरुआत का आधार शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education Act) है, जो 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ। इस अधिनियम ने 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाया। इसमें शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता और शिक्षण मानकों को सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया था। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने शिक्षकों की भर्ती के लिए एक मानकीकृत पात्रता परीक्षा की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि शिक्षण में गुणवत्ता और एकरूपता बनी रहे। 2011 से टैट परीक्षा केन्द्र व राज्य स्तरों पर आयोजित हो रही है। 

प्रश्न ये है कि जब शिक्षा का अधिकार अधिनियम ही 2010 में आया है तो इस अधिनियम के आधार पर आयोजित होने वाली टीईटी परीक्षा को पूर्व कालिक प्रभाव से सभी शिक्षकों पर लागू करना कितना उचित है ? 

प्रश्न ये भी है कि केवल शिक्षा विभाग में ही गुणवत्ता का इतना ध्यान क्यों ? इस प्रकार के फैसलों को  देश के राजनेताओं,न्यायिक सेवा, प्रशासनिक सेवा,चिकित्सा सेवा,इंजीनियरिंग सेवा एवं पुलिस सेवा सहित देश की सभी सेवाओं में लागू क्यों ना किया जाए ? 

ये भी ध्यान देने योग्य बात है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की आड़ लेकर केन्द्र व राज्य सरकारें भारी मात्रा में सेवारत शिक्षकों को सेवा से निकाल सकती हैं, इसके लिए उन्हें बस इतना करना है कि टीईटी का पेपर कुछ इस तरह से सैट करवाया जाए कि अधिकांश लोगों के लिए पासिंग मार्कस यानी 60 या 55 प्रतिशत लाना बेहद मुश्किल हो जाए, फिर तुरंत बहाना बनाकर शिक्षकों को जबरदस्ती सेवानिवृत कर दो और स्कूलों पर ताला लगा दो। स्कूलों की जमीनों को पीपीपी के नाम पर बेच दो ।

उपरोक्त तथ्यों के प्रकाश में माननीय सुप्रीम कोर्ट को अपने इस फैसले पर पुर्नविचार करना चाहिए तथा सेवारत शिक्षकों कों इस अनावश्यक परीक्षा में नहीं उलझाना चाहिए क्योंकि वो सभी उचित डिग्री के बाद कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करने के बाद ही सेवा में नियुक्त हुए हैं, सेवा के दौरान विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से उनकी क्षमता बढ़ी है ना कि कम हुई है, ऐसी स्थिति में उन्हें फिर से परीक्षा की तैयारी में फंसा देना किसी भी दृष्टि से तर्कसंगत प्रतीत नहीं होता है। सेवारत शिक्षकों को पहले ही गैर—शैक्षणिक गतिविधियों में आवश्यकता से अधिक मात्रा में उलझाया हुआ है अब यदि वो अपनी नौकरी बचाने के लिए परीक्षा की तैयारी में लग गए तो सरकारी शिक्षा व्यवस्था सुधारने की बजाय परलोक सिधार जाएगी जिससे अंतत: देश कमजोर होगा । हमें आशा ही नहीं वरन् पूर्ण विश्वास है कि देश हित में माननीय सर्वोच्च न्यायलय स्वत: संज्ञान लेकर इस मामले में पुर्नविचार करेगा ।  

जय हिंद! जय भारत!

शुभेच्छु!

राष्ट्रसेवक अनिल यादव

संपादक,बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,

अध्यक्ष,जन संप्रभुता संघ

9414349467

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