प्रतिनिधि मण्डल ने शहर के वरिष्ठ वकीलों से भेंट कर घटनाक्रम और क़ानूनी पहलुओं पर चर्चा की, तथा शहर के उपद्रव ग्रस्त क्षेत्रों में जा कर आम-जन से भेंट की। प्रतिनिधि मण्डल ने पाया किः
शहर में पहले ही से विभिन्न सम्प्रदायों के बीच सौहार्द्र और भाईचारा मौजूद है और उनके व्यवसाय भी एक दूसरे पर निर्भर हैं।
प्रतिनिधि मण्डल से बात-चीत के दौरान हिन्दू व मुस्लिम दोनों ही सम्प्रदायों के लोगों ने आपसी सहयोग की भावना व्यक्त की।
मुस्लिम बहुल मोहल्लों में रहने वाले दोनों ही धर्मों के लोगों ने एकजुटता की बात की और जो उपद्रव और हिंसा घटित हुई उसे अनापेक्षित और दुःखद बताया।
पुलिस की भूमिका पर दोनों ही समुदायों ने सामान्य रूप से संतोष व्यक्त किया लेकिन यह भी कहा कि पुलिस यदि और अधिक मुस्तैद रहती तो घटना को रोका जा सकता था।
पुलिस आयुक्त नवज्योति गोगोई ने भेंट के दौरान आश्वासन दिया कि किसी निर्दोष को परेशान नहीं किया जाएगा परन्तु जो किसी भी रूप में अपराधी हैं और उनके विरुद्ध साक्ष्य मौजूद हैं उन्हें नहीं छोड़ा जाएगा। साथ ही उन्होंने इस बात को भी दोहराया कि किसी भी पीड़ित को यदि एफआईआर दर्ज करानी है, चाहे वह किसी व्यक्ति के विरुद्ध हो या स्वयं पुलिस के विरुद्ध, तो वह निःसंकोच अपनी रिपोर्ट सम्बन्धित थाने में दर्ज करा सकता है और यदि थानाधिकारी रिपोर्ट लेने से इन्कार करें तो सीधे उनसे भी सम्पर्क किया जा सकता है।
प्रतिनिधि मण्डल का मानना है किः
यह संतोष की बात है कि उपद्रव फैलने से पूर्व ही स्थिति को सम्भाल लिया गया जिसका श्रेय पुलिस के साथ स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा तुरंत हस्तक्षेप को भी जाता है। ऐसा प्रदेश में अन्य स्थानों पर भी होता तो प्रदेश में कुछ स्थानों पर हुई हिंसा को रोका जा सकता था।
अब जोधपुर सहित पूरे प्रदेश में ही आपसी प्रेम और सौहार्द्र के वातावरण को सुदृढ़ करने के लिए सरकारी स्तर पर भी प्रयास होने चाहिएं और इसमें सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों का भी सहयोग लिया जाना चाहिए।
साम्प्रदायिक एवं उपद्रवी तत्वों और संगठनों पर कड़ी नज़र रखी जानी चाहिए और उन्हें किसी भी प्रकार की अशान्ति पैदा करने से पहले ही रोका जाना चाहिए, साथ ही ‘हेट-स्पीच’ पर तुरन्त संज्ञान लिया जाना चाहिए।
कुछ राजनीतिक दल, जो साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाने के लिए जाने जाते हैं, उन्हें सरकार द्वारा कड़ी चेतावनी दी जानी चाहिए कि उनकी ओर से किसी भी अवांछित गतिविधि को सहन नहीं किया जाएगा।
धार्मिक आयोजनों में अनावश्यक और ऐसे क्रियाकलाप की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जो अन्य समुदायों को किसी भी प्रकार से प्रभावित करते हों।
ऐसे धार्मिक जुलूसों एवं रेलियों की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जो पहले से नहीं होते रहे हैं।