डॉ परीक्षित सिंह ने इन कविताओं में जीवन के गूढ़ रहस्यों को तलाश करने की कोशिश की है और मनुष्य के स्वयं मिलने के आध्यात्मिक चिंतन को प्रस्तुत किया है.
दूसरी पुस्तक है ,रविन्द्र नाथ टैगोर की नोबल पुरस्कार प्राप्त ,काल जयी कृति है "गीतांजलि " , गीतांजलि का राजस्थानी भाषा मे काव्यात्मक दोहा शैली में अद्भुत, अभिनव अनुवाद किया है जानेमाने कवि, शायर,इकराम राजस्थानी ने । शीर्षक है "अंजली गीतां री" इसके अनुवादक हैं राजस्थानी भाषा के सुप्रसिद्ध कवि, गीतकार और अनुवादक इकराम राजस्थानी ।
ये अनुवाद इतना प्रभाव शाली बन पड़ा है कि अनुवाद प्रतीत ही नहीं होता है, जैसे स्वयं टैगोर राजस्थानी भाषा में गीतांजलि पढ़ रहे हों । ये बात इकराम जी को सुनकर स्वयं ममता दीदी ने पहले लोकार्पण समारोह में कोलकाता में कही थी । इस अवसर पर इकराम राजस्थानी ने जिफ़ के आयोजकों का हार्दिक आभार व्यक्त किया है।