अकादमी के निदेशक संजय झाला ने बताया कि समारोह के दूसरे दिन रविवार को निधीश गोपी निर्देशित 120 मिनट की ‘प्रतिकृति’ की स्क्रीनिंग की गई। फिल्म प्रतिकृति में बताया गया कि विभिन्न संग्रहालयों में रखे संस्कृत साहित्य के अनेक दुर्लभ ग्रन्थों और पांडुलिपियों की लोग चोरी कर रहे हैं और इसमें परिवर्तन कर इसे अपने नाम से बाजार में बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। इस फिल्म में इन्हीं दुर्लभ पांडुलिलियों के संरक्षण की पुरजोर पैरवी की गई है। इस दिन समारोह की चौथी और अन्तिम फिल्म रविशंकर वैंकटेश्वरन निर्देशित ‘पुण्यकोटि’ की स्क्रीनिंग की गई। पुण्यकोटि संस्कृत भाषा की पहली एनीमेशन फिल्म है। इसका निर्माण बैंगलुरु के रवि शंकर वी ने किया है। उन्होंने 20 साल पहले पुण्यकोटि नाम से एक किताब लिखी थी। लोककथा पर आधारित कहानी में गाय और शेर के जरिए सच के महत्व की कहानी कही गई थी। रवि कुमार मानते हैं कि बच्चे एनीमेशन देखते समय किरदारों के क्रियाकलाप में इतने मग्न हो जाते हैं कि उन्हें भाषा का ख्याल नहीं रहता।
रिफ फिल्म क्लब एवं जवाहर कला केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हो रहे इस उत्सव के संयोजक अंशु एवं सोमेंद्र हर्ष ने बताया कि इस दिन फिल्मों के अलावा ‘संस्कृत सिनेमा प्राचीन साहित्य से आधुनिक विज्ञान तक’ पर टॉक शो भी आयोजित किया गया।