नेहरू ने बताई थी सबसे बड़ी समस्या
उन्होंने कहा कि नेहरू का बच्चों के साथ संबंध प्रेम वाला या महज फोटो खींचवाने वाला नहीं था। वह तर्कपूर्ण व सत्यपरक भी है। दरअसल जितनी तेजी से तकनीक ने विकास किया है, हमारे विवेक का विकास उतनी तेजी से नहीं हुआ है। हमने समाज में मौजूद असमानता को सहजता से स्वीकार कर लिया है। एक घोषणा के बाद एक लड़की अपने पिता को साइकिल पर दिल्ली से बिहार तक ले गई, यह समाज के लिए शर्मनाक बात है। सही कहें तो हमें व्यवस्थित रूप से संवेदनहीन बनाया जा रहा है। हिंसा को सामान्य मान लिया गया है। एक इंटरव्यू में नेहरू से पूछा गया कि दुनिया की सबसे बड़ी समस्या क्या है.. तो उन्होंने कहा था तकनीकी विकास और आध्यात्मिक रिक्तता। इसे केवल रचनात्मकता से ही भरा हो सकता है। यही कारण है कि नेहरू के कार्यकाल में ही रचनात्मक संस्थाओं का भी विकास हुआ। नेहरू ने अतिरेक के त्याग और मध्यम मार्ग की स्वीकार किया था।
कुछ लोग थे जो वक्त के सांचों में ढल गए...
कार्यक्रम की शुरुआत में आरजीएससी प्रभारी समन्वयक प्रो. सतीश कुमार राय ने प्रो. पीसी व्यास के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और नेहरू की प्रासंगिकता बताते हुए इस आयोजन की महत्ता बताई। वहीं, बाल साहित्य अकादमी के अध्यक्ष इकराम राजस्थानी ने कुछ लोग थे जो वक्त के सांचों में ढल गए, कुछ लोग थे जो वक्त के सांचे बदल गए.. कहते हुए अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि पं. जवाहर लाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी के जरिए हम बच्चों में वे संस्कार देना चाहते हैं जो नेहरू का सपना थे। कार्यक्रम का संचालन अकादमी सचिव राजेन्द्र मोहन शर्मा ने किया।