लेखक : अशोक भटनागर "स्वतंत्र पत्रकार"
प्रियंका गांधी ,अजय माकन, वेणुगोपाल से मुख्यमंत्री गहलोत की कल हुई बैठक के बाद आज सोनिया गांधी से हुई बैठक में राजस्थान की राजनीति पर विस्तार से चर्चा हुई। देश में जो पेट्रोलियम पदार्थ तथा महंगाई को लेकर हालात बने हुए हैं वह काफी गंभीर है सोनिया गांधी की बैठक के बाद यह स्पष्ट रूप से निकल कर आया है कि राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में जो मीडिया मैं फैब्रिकेटेड खबरें चलाई जा रही है उनका कोई ठोस आधार नहीं है। तीन मंत्रियों का हटाया जाना, एक व्यक्ति एक पद ,फार्मूले पर अमल होना यह सब काल्पनिक है आश्चर्य की बात तो यह है कि फेरबदल में बनाए जाने वाले मंत्रियों की काल्पनिक लिस्ट भी मीडिया द्वारा समय-समय पर जारी की जा रही है जबकि वास्तविकता से केवल और केवल अशोक गहलोत तथा सोनिया गांधी को ही पता है। क्या कांग्रेस में कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को गिराने का प्रयत्न करने वालों को पुरस्कृत किया जाएगा? अगर ऐसा होता है तो राजस्थान में पंजाब जैसे हालात बनने में देरी नहीं लगेगी इस बात को कांग्रेस आलाकमान अच्छी तरह से जानता हैl अतः अभी आने वाले एक-दो माह में किसी भी तरह के परिवर्तन की संभावना बेहद कमजोर है। आज स्वयं सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद अशोक गहलोत ने स्पष्ट कर दिया है कि मीडिया में जो फेरबदल को लेकर तारीखों का सिलसिला लगातार जारी है वह आधारहीन हैl राजस्थान में कब और कैसे क्या होगा यह कांग्रेस आलाकमान द्वारा ही तय किया जाएगा । मंत्रिमंडल फेरबदल और विस्तार को लेकर अशोक गहलोत कि कल से आज तक दिल्ली में हुई बैठको के दौर के बाद जिन तथाकथित संभावित मंत्रियों ने लड्डुओं के ऑर्डर दिए थे वह तुरंत प्रभाव से निरस्त किए जा रहे हैं l राजस्थान में सरकार के 3 वर्ष दिसंबर माह में पूर्ण होने के बाद ही आलाकमान इस बारे में कोई निर्णय करेगा इसकी संभावना प्रबल नजर आती है। जहां तक एक पद एक व्यक्ति के सिद्धांत का सवाल है वर्तमान परिस्थितियों में कॉन्ग्रेस इस फार्मूले को फिलहाल टाल सकती है क्योंकि पंजाब; उत्तर प्रदेश, गुजरात व अन्य राज्यों में एक सवा साल के दौरान चुनाव होने है ऐसे में मंत्रियों का हटाया जाना एक आत्मघाती कदम हो सकता है। यह जरूर संभव है कि राजनीतिक नियुक्तियां एवं मंत्रिमंडल विस्तार नव वर्ष में बड़े पैमाने पर किया जाए।