जन सम्प्रभुता संघ के संस्थापक अध्यक्ष अनिल यादव के अनुसार मजबूत लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र मीडिया का होना बेहद जरूरी है परन्तु विभिन्न कारणों खासकर आर्थिक मजबूरियों के चलते भारत में स्वतंत्र व आत्मनिर्भर मीडिया का सपना आज भी सिर्फ सपना ही बना हुआ है ।
यादव के अनुसार देश में स्वतंत्र व आत्मनिर्भर मीडिया के सपने को सच करने के लिए 'जन संप्रभुता संघ' ने केन्द्र व राज्य दोनों स्तरों पर सत्ताधारी जिम्मेदारों को 8 बेहद उपयोगी उपाय ना सिर्फ सुझाए हैं वरन् इन उपायों को अविलम्ब मूर्तरूप देने की मांग भी की है ।
(1) भारत में राजनीतिक दल को चंदा देने पर चंदा देने वाले को चंदे में दी गई सम्पूर्ण राशि पर आयकर में छूट मिलती है। यह छूट आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80GGC (व्यक्तियों के लिए) और धारा 80GGB (कंपनियों के लिए) के तहत प्रदान की जाती है।
इसी प्रकार चंदा प्राप्त करने वाले राजनीतिक दल को प्राप्त चंदे पर भी आयकर अधिनियम की धारा 13 ए के तहत 100 प्रतिशत आयकर छूट मिलती है ।
उक्त प्रावधानों के पीछे मुख्य तर्क यह दिया जाता है कि छूट संबंधी उक्त प्रावधान व्यक्तियों और कंपनियों को राजनीतिक दलों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे लोकतंत्र को मजबूती मिलती है और एक सक्रिय नागरिकसमाज का निर्माण होता है ।
उक्त तर्क जितना राजनीतिक दलों के लिए सही है उससे अधिक यह तर्क 'स्वतंत्र मीडिया' के लिए कारगर है । अत: जन संप्रभुता संघ केन्द्र सरकार से मांग करता है कि उक्त प्रावधानों में राजनीतिक दलों की तरह 'मीडिया' को भी शामिल किया जाए । प्रावधान के दुरूपयोग को रोकने की नजरिए से एक मीडिया संस्थान को इस छूट के तहत वार्षिक तक अनुदान प्राप्त करने एवं प्राप्त अनुदान पर आयकर छूट के संबंध में एक तार्किक लिमिट लगाई जा सकती है, हमारी राय में दोनों ही प्रावधानों के संबंध में यह लिमिट 25 लाख रूपए वार्षिक रखी जा सकती है । उक्त प्रावधानो से 'मीडिया' विशेषकर स्थानीय स्तर पर सक्रिय मीडिया संस्थानों को आर्थिक आजादी मिलेगी जिससे स्वतंत्र पत्रकारिता को प्रोत्साहन मिलेगा और देश व देश का लोकतंत्र मजबूत बनेगा ।
(2) भारत में कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 और इसके तहत बनाए गए कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी(CSR पॉलिसी) रूल्स, 2014 के अंतर्गत न्यूनतम 500 करोड़ नेटवर्थ, 1000 करोड़ टर्नओवर एवं तीन वित्तीय वर्षो में 5 करोड़ का शुद्ध लाभ कमाने वाली सभी देशी—विदेशी कम्पनियों के लिए अपने शुद्ध लाभ का 2 प्रतिशत सीएसआर गतिविधियों में खर्च करना अनिवार्य बनाया हुआ है । प्रत्येक कम्पनी अपनी आतंरिक सीएसआर समिति की सिफारिश पर यह धनराशि खर्च करती है। कंपनी अधिनियम, 2013 की अनुसूची VII में उन गतिविधियों का उल्लेख है जिनमें CSR फंड खर्च किया जा सकता है। मीडिया विज्ञापनों को 'व्यावसायिक श्रेणी' का मानते हुए सीएसआर गतिविधियों में शामिल नहीं किया गया है । जन संप्रभुता संघ की मांग है कि सामाजिक जागरूकता एवं सामाजिक कल्याण से जुड़े हुए गैर व्यावसायिक श्रेणी के मीडिया विज्ञापनों को सीएसआर गतिविधियों में शामिल किया जाए ताकि सामाजिक जागरूकता भी बढ़े और मीडिया भी स्वतंत्र व सशक्त बन सके । इसके लिए एक अलग से डेडीकेटेड वैब पोर्टल बनाया जाए । इस प्रावधान के दुरूपयोग को रोकने की नजरिए से एक मीडिया संस्थान को इस छूट के तहत अधिकतम 25 लाख रूपए वार्षिक तक अनुदान/विज्ञापन प्राप्त करने की लिमिट लगाई जा सकती है ।
(3) देश व प्रदेश सभी स्तरों पर कार्यरत सभी मंत्रालयों व विभागों में 'स्वतंत्र मीडिया' व 'भ्रष्टाचार मुक्त भारत' के उद्देश्य से मुखबिर योजना लागू की जाए । इस योजना के तहत मुखबिर पत्रकार एवं उससे संबंधित मीडिया संस्थान को भ्रष्टाचार का खुलासा करने पर सम्मान एवं बेहद आकर्षक नकद पुरस्कार (80 : 20 के अनुपात में) दिया जाए तथा ऐसे मामलों में मुखबिर के नाम की गोपनीयता की फुल प्रूफ व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ।
(4) वकील,डाक्टर या अन्य प्रोफेशनस की तरह ख़बर के लिए मेहनत करने वाले पत्रकार/संस्थान के लिए खबर से जुड़े समर्थ लाभार्थी या लाभार्थी समूह से उचित पारिश्रमिक प्राप्त करने को सम्मान जनक कानूनी मान्यता प्रदान की जाए, पारिश्रमिक का बंटवारा पत्रकार व संबद्ध संस्थान के बीच 80 : 20 के अनुपात में किया जाए । मीडिया संस्थान या सरकार चाहे तो इसके लिए तर्कसंगत दरें निर्धारित कर सकती है । उक्त कदम से स्वतंत्र व आत्मनिर्भर पत्रकारिता का जन्म होगा ।
(5) संविधान के अनुच्छेद 19(1A) के तहत प्राप्त 'मीडिया' की अभिव्यक्ति की आजादी एवं खोजी पत्रकारिता को विशेष संरक्षण प्रदान किया जाए । इसके लिए ' पत्रकारों को, 'राजकार्य में बाधा' डालने जैसे आरोपों के तहत मामला दर्ज करने से तब तक मुक्त रखा जाए जब तक की एस.पी.स्तर के अधिकारी द्वारा गहन जाँच के बाद यह स्पष्ट प्रमाणित ना हो जाए की संबंधित पत्रकार ने गलत नीयत से जानबूझकर राजकार्य में बाधा डाली है । सच्ची पत्रकारिता से चिढ़कर या बदले की भावना से पत्रकार पर होने वाले हमलों,धमकी, को रोकने के लिए सख्त कानूनी प्रावधान बनाए जाएं।
(6) जिस तरह से सरकारी कर्मचारियों को 'राजकार्य में बाधा' संबंधी विशेष कानूनी कवच उपलब्ध है, ठीक उसी तर्ज पत्रकारों को उनके पत्रकारिता संबंधी कार्य में बाधा डालने वाले तत्वों के विरूद्ध 'राष्ट्र कार्य में बाधा ' नाम से सख्त कानूनी प्रावधान बनाया जाए ।
(7) पत्रकारिता के दौरान या पत्रकारिता की वजह से जान गवाने की स्थिति में संबंधित पत्रकार को शहीद का दर्जा, उसके परिवार को न्यूनतम 1 करोड़ रूपए की आर्थिक सहायता एवं उसके एक परिजन को स्थाई सरकारी नौकरी प्रदान करने की व्यवस्था बनाई जाए । पत्रकार पर हुए हमले के परिणाम स्वरूप हुई अन्य शारीरिक व आर्थिक हानि के मामलों में भी संवेदनशील व्यवस्था तैयार की जाए ।
(8) पत्रकारों को धमकी, हमले या उनकी हत्या में लिप्त तत्वों तथा पत्रकारों के विरूद्ध दुर्भावनावश सरकारी एजेंसियों एवं पद का दुरूपयोग करने वाले प्राधिकारियों तथा पत्रकारों पर दबाब बनाने के लिए मानहानी, राजकार्य में बाधा, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कानूनी प्रावधानों की आड़ लेकर झूठे मुकदमें दर्ज कराने वाले लोगों पर, आरोप सिद्ध होने पर सख्त से सख्त कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित करने की व्यवस्था बनाई जाए ।
जन संप्रभुता संघ के अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि संघ द्वारा सुझाए गए इन 8 उपायों को अमल में लाने से देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं जन—केन्द्रित पत्रकारिता खासकर ग्रामीण,कस्बाई व जिला स्तरीय पत्रकारिता को प्रोत्साहन मिलेगा, ग्राउण्ड जीरो पर पत्रकारिता के मजबूत होने से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, लोकतंत्र मजबूत होगा, जनता में जागरूकता बढ़ेगी तथा देश 'सुराज' की ओर अग्रसित होगा ।
यादव के अनुसार उन्हें उम्मीद है कि 'स्वतंत्र,आत्मनिर्भर व मजबूत मीडिया के लिए 'जन संप्रभुता संघ' द्वारा की गई इस नायाब पहल को देश भर के पत्रकारों, पत्रकार संगठनों एवं मीडिया संस्थानो के अलावा लोकतंत्र प्रेमी जन—संगठनों के द्वारा भी जबरदस्त समर्थन मिलेगा ।