प्रस्तावना से 'समाजवादी' व 'पंथ निरपेक्ष' शब्द हटाने संबंधी याचिका खारिज करने के फैसले का स्वागत

बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,जयपुर । जन संप्रभुता संघ ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' व 'पंथ निरपेक्ष' शब्द हटाने की याचिका खारिज करने फैसले का स्वागत किया है । जन सम्प्रभुता संघ के अध्यक्ष अनिल यादव के अनुसार संविधान देश के भविष्य को निर्धारित करने वाला भारत का सबसे पवित्र ग्रंथ है और प्रस्तावना इस ग्रंथ की आत्मा है, संविधान की आत्मा से छेडछाड को नामंजूर करके सर्वोच्च अदालत ने भारत के संविधान के मूल ढांच की रक्षा की है । अनिल यादव ने कहा कि संविधान को सबसे ज्यादा ख़तरा देश के उन नागरिकों से है जो या तो मूर्ख हैं या उदासीन । संविधान बचाना है तो हमें लोगों तक संविधान पहुंचाना, उनको संविधान दिखाना, उन्हें संविधान पढाना और उन्हें संविधान समझाना होगा। संविधान को खतरा मतलब स्वतन्त्रता,समता,न्याय और प्रेम जैसे लोकतांत्रिक एवं सृष्टि के सनातन नियमों की समाप्ति की आशंका । संविधान को खतरा मतलब निरंकुश शासन व्यवस्था में गिड़गिड़ाता 'लोक ' और गुर्राता ' तंत्र ' ।  संविधान को ख़तरा मतलब अर्थव्यवस्था पर चंद पूंजीपतियों का एकाधिकार और जनता का अकल्पनीय शोषण । संविधान को ख़तरे से बचाना है तो उसके प्रति लोगों में जिज्ञासा व जागरूकता  पैदा करना बेहद जरूरी है ।


कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र कुम्भज ने कहा कि सरकारें देश की संवैधानिक संस्थाओं पर असंवैधानिक तरीके से कब्जा करके देश में लोकतंत्र का कमजोर कर रही हैं , देश के नागरिकों का चाहिए कि वो संविधान को पढ़े और पढ़ाए और अपने नागरिक अधिकारों के बारे में जानकारी को पुख्ता करें । 

मुख्य महासचिव डी.बी.गुहा ने कहा कि संविधान दिवस पर संविधान का गुणगान करना ही पर्याप्त नहीं है, नागरिकों को स्वयं में संविधान की समझ पैदा करनी होगी । 

स्रोत: प्रेम चंद योगी,कार्यालय प्रभारी,जन संप्रभुता संघ द्वारा प्रेषित प्रेस विज्ञप्ति