लोकसभा चुनाव—2024 : जन संप्रभुता संघ की पहल पर हुआ संवाद एवं मंथन

'प्रेस क्लब आफ इंडिया' में लगा देशभक्तों का जमघट


बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,नई दिल्ली। जन संप्रभुता संघ की ओर से नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब आफ इंडिया में लोकसभा चुनाव 2024 में जनता के मुद्दों पर संवाद एवं मंथन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान देश भर से आए राष्ट्रीय स्तर के प्रबुद्ध नागरिकों ने भाग लिया तथा लोकसभा चुनाव 2024 के मुद्दों पर संवाद व मंथन को मूर्त रूप दिया। 

​भारतीय किसान यूनियन से जुड़े किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने किसानो की कर्जमाफी, किसान आत्महत्या, एमएसपी जैसे मुद्दों पर चर्चा करते हुए बताया कि वर्तमान में लोकतंत्र नहीं पार्टी तंत्र है जिसमें पक्ष सुनता नहीं है और विपक्ष आवाज़ उठाता नहीं है। पार्टी मुक्त होने पर ही लोकतंत्र मजबूत हो सकता है।


पत्रकार शफी दहलवी ने देश की शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भीषण असमानता पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि शिक्षा के व्यावसायिकरण ने देश में शैक्षणिक असमानता बढ़ाई है। दहलवी ने कहा कि दलो ने देश में दलदल पैदा कर दिया है । दल और दलों द्वारा किए गए गठबंधन को दहलवी ने स्वार्थबंधन की संज्ञा देते हुए कहा कि दलों की सरकारें अपनी जिम्मेदारियों से भाग कर सिर्फ मलाई चाटने में लगी रहती हैं।

इंडियन पब्लिक सर्विस एम्प्लोईज फैडरेशन के महासचिव प्रेम चंद ने कहा कि दलों के सारे झण्डे नीतिगत रूप से लगभग एक समान ही हैं,अत: गैर दलीय रहकर ही नागरिक अधिकारों की रक्षा संभव है। प्रेमचंद ने राजकीय कर्मचारियों को भी राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति की बात कही तथा ठेका प्रणाली को भ्रष्टाचार की जननी बताया। प्रेमचंद ने कहा कि जनप्रतिनिधि जहां चार—चार पेंशन ले सकते हैं वहीं कर्मचारियों की ओपीएस बंद करना सरासर बेशर्मी है।


पीयूसीएल के एन.डी.पंचौली ने कहा देश का संविधान स्वतंत्रता,समता,न्याय व बंधुत्व की गारंटी देता है परन्तु अफसोस संविधान की शपथ लेकर पदासीन होने वाले लोग ही संविधान बदलने की बात को लगातार हवा दे रहे हैं। 


आल इंडिया पीस मिशन के सरदार दया सिंह ने कहा कि दल पूंजीपतियों के कार्पोरेट कार्यालय में बदल गए हैं अत: जब तक दलों का दलदल रहेगा,नागरिक हाथ मलता रहेगा। दया सिंह ने चुनाव लड़ने के लिए 1000 प्रस्तावकों की शर्त का प्रस्ताव दिया। 

पीयूसीएल के टी.एस.आहूजा ने कहा कि नफरत के एजेंडे ने नागरिकों के मूल मुद्दों को हाशिए पर धकेल दिया है जबकि सच्चाई यह है कि पहले मुद्दे ढूंढे पड़ते थे आज मुद्दों की इतनी भरमार है कि ये तय करना मुश्किल है कि आखिर किस मुद्दें का छोड़ा जाए ।


प्रो.जितेन्द्र मीणा ने कहा कि सरकार के ध्यान से आदिवासी ओझल हो चुके हैं। लद्दाख को राज्य का दर्जा बहाल करने तथा उसे अनुसूची 6 में शामिल करने की मांग का समर्थन करते हुए प्रो.मीणा ने कहा कि मणिपुर जल रहा है और प्रधानमंत्री के मुँह से संवेदना के दो शब्द तक नहीं निकल रहे हैं। मीणा ने कहा कि नक्सली के नाम पर आदिवासियों का नरसंहार किया जा रहा है क्योंकि कार्पोरेट को उनकी जमीन चाहिए। मीणा ने छत्तीसगढ़ में हसदेव जंगल को उजाडने की इजाजत देने पर नरेन्द्र मोदी सरकार की तीखी आलोचना की।


पत्रकार रामशरण जोशी ने कहा कि नागरिकों को स्वयं को प्रजा मानने की मानसिकता से बचाना चाहिए क्योंकि प्रजा शब्द में दासता का भाव आता है अत: प्रजातंत्र नहीं लोकतंत्र शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए। जोशी ने कहा कि राज्य और धर्म दोनों अलग—अलग चीज हैं, राजनीति में धर्म का प्रयोग बेहद विनाशकारी होता है। धर्मनिरपेक्ष शब्द पर व्यग्य करने वाले लोगों के लिए 'शर्मनिरपेक्ष'शब्द का प्रयोग करने की सलाह दी।


दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतनलाल ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस स्वयं इस देश की सबसे बड़ी समस्या हैं क्योंकि इन्हें समता से चिढ़ है । इनके सौ मुह हैं, इनपर विश्वास करना दूध की रखवाली के लिए बिल्ली को चुनने जैसा है । रतनलाल ने कहा कि ये लोग एक मुह से संविधान बदलने की बात कर रहे हैं और दूसरे मुह से कह रहे हैं कि बाबासाहब का संविधान स्वयं बाबासाहब भी नहीं बदल सकते । देश मे व्याप्त तानाशाही की ओर संकेत करते हुए प्रो.रतनलाल ने कहा कि जब कॉलेेजों पर पहरे लगने शुरू हो जाएं समझ लो तानाशाही आ रही है।


दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सूरज मण्डल ने कहा कि आज देश में इतने मुद्दे हैं कि अलग से मुद्दों का मंत्रालय बनाने की आवश्यकता है। प्रो. सूरज मण्डल ने ईवीएम एवं वीवीपीएटी में धांधली का मुद्दा उठाते हुए कहा जब तक चुनावी मशीनरी निष्पक्ष नहीं होगी आएगा तो चोर ही । मंडल ने कहा कि जिसकी अपनी पत्नी को दी हुई गारंटी फेल हो गई उसकी गारंटी का विश्वास कोई अंधभक्त मूर्ख ही कर सकता है।


गौरी मीडिया से पत्रकार स्वाति शुक्ला ने कहा मुद्दा राम मंदिर नहीं है मुद्दा है हमारे हक,अधिकार,शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार । शुक्ला ने कहा कि आज देश को वैकल्पिक मीडिया की आवश्यकता है जो जनता को सच बता सके। स्वाति ने बताया कि दलों का विपक्ष नाकारा हो चुका है अत: जनता का विपक्ष तैयार करना आज की बेहद महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

दिनेश अब्रोल ने कहा कि मोदी जी ने देश को आत्मनिर्भर बनाते बनाते आयात निर्भर बना दिया है। अब्रोल ने कहा कि विदेशों में भारत का डंका बजने की बात सिर्फ अंधभक्तों के लिए है असलियत इससे ठीक उलट है । देश से प्रतिभा पलायन हो रहा है, लाखों करोड़पति देश छोड़ चुके हैं और देश तेजी से पुन: उपनिवेशवाद की ओर बढ़ रहा है। अब्रोल ने कहा कि मोदी जी ने विदेशों में देश का सम्मान बढ़ाया नहीं है उन्होने देश का सामान विदेशियों के पास पहुंचाया है।

जमात ए इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष सलीम इंजीनियर ने कहा कि जनता का विपक्ष फिलहाल मौजूद नहीं है और दलीय विपक्ष कुछ खास करना नहीं चाहता है अत: देश की स्थिति निश्चित तौर पर नाजुक है परन्तु हमें निराशा से मुक्त एवं आत्मविश्वास से युक्त रहकर आईडिया आफ इंडिया को बचाना है। हमें वोट प्रतिशत बढ़ाना है साथ ही जनता का विपक्ष खड़ा करने के लिए एक दीर्घकालिक रणनीति पर काम करना चाहिए।

प्रो.मधु प्रसाद ने कहा कि लोकतंत्र हमारी आवश्यकता है अत: इसे बचाने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है ।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो.विकास गुप्ता ने कहा कि हर रात की सुबह होती है,इसकी भी अवश्य होगी अत: हमें धरातल तक सच को पहुंचाना भी होगा तथा लोगों को सच की जीत का विश्वास दिलाना भी होगा । प्रो. गुप्ता ने डिसएबल लोगों की समस्या उठाते हुए कहा कि डिसएबल लोगों के मुद्दे आज तक किसी भी दल के घोषणा—पत्र में शामिल नहीं हैं जबकि कई तरह की शारीरिक अपंगता भोगने वाले लाखों लोग अपनी समस्याओं के निराकरण बाट जोह रहे हैं।


कार्यक्रम का संचालन जन संप्रभुता संघ के अध्यक्ष अनिल यादव ने किया । यादव ने बताया कि कार्यक्रम में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला एवं जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सतपाल मलिक भी भाग लेने वाले थे परन्तु शंकर सिंह वाघेला गुजरात में छिडे राजपूत विवाद, सतपाल मलिक स्वास्थ्य कारणों से कार्यक्रम में अनुपस्थित रहे ।

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