ज्ञापन में एन ए पी एम स्वास्थ्य समूह राजस्थान के अनिल गोस्वामी, बसन्त हरियाणा, कैलाश मीना ने हमारे संवैधानिक प्रावधानों के आधार पर प्रदेश में जनता के सम्पूर्ण स्वास्थ्य को सुरक्षित करने की मांग की गई है। ज्ञात हो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विभिन्न देशों की सरकारों से अपील की है वह स्वास्थ्य के क्षेत्र में संसाधनो को बढ़ाए और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करते हुये लोगों के स्वास्थ्य को सुरक्षित करे।
ज्ञापन में यह भी मांग की गई है कि राजस्थान की तरह प्रदेश में स्वास्थ्य का अधिकार कानून लाया जाए तथा स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले विभिन्न घटकों को सुनिश्चित लिया जाए। साथ ही निजी स्वास्थ्य क्षेत्र के नियमन के लिए क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट को प्रदेश में लागू करने की मांग की गई है।
जन स्वास्थ्य अभियान राजस्थान द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार ‘स्वास्थ्य का अधिकार कानून 2023’ के विरोध में जारी गतिरोध की समाप्ति हेतु हुए समझौते के बावजूद इस कानून की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं तंत्र को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को मजबूती मिली है। अब राज्यपाल महोदय को इस कानून पर यथाशीघ्र हस्ताक्षर करने चाहिए तथा सरकार को अपने वर्तमान कार्यकाल समाप्ति से पूर्व ही कानून लागू करने के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर देनी चाहिए ।
सरकार को दिए गए प्रमुख सुझाव :-
1. नियमों में क़ानून की मूल भावना के अनुरूप प्रत्येक किए जाने वाले कार्यों को विस्तार एव स्पष्ट रूप से संख्यात्मक और गुणात्मक रूप से उल्लेखित किया जाए जिस से कि इन कार्यों का क्रियान्वयन त्वरित और बाधारहित तरीके से हो सके।
2. क़ानून के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार पर्याप्त बजट आवंटित करे। नियम में सरकार ऐसे प्रावधान करे जिस से की राज्य के प्रत्येक निवासी को आधा घंटे की पेदल दूरी पर बुनियादी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा, 10 किमी की दूरी पर समस्त प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाए, किसी मोटर वाहन से 1 घंटे में पहुँचा जा सके की दूरी पर पूर्ण आकस्मिक चिकित्सा सुविधा और अधिकतम 150 किमी की दूरी पर उच्चतर चिकित्सा सुविधा निर्बाध एव निशुल्क रूप से उपलब्ध हो सके।
3. शिकायत निवारण तंत्र को अधिक से अधिक सुलभ बनाया जाए जिसके लिए प्रत्येक चिकित्सा संस्थान में एक शिकायत अधिकारी हो जो प्राप्त शिकायत पर तुरंत कार्यवाही कर शिकायत का निवारण कर सके.
4. किसी चिकित्सालय के खिलाफ शिकायत दर्ज करने लिखित में शिकायत करने के अलावा वेब पोर्टल अथवा हेल्पलाइन से शिकायत कर पाने का प्रावधान भी रोगियों को उपलब्ध किया जाये.
5. जिला एवं राज्य प्राधिकरणों में सिविल सोसाइटी, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों, जन प्रतिनिधि एवं पैरामेडिकल स्टाफ की भी भागीदारी सुनिश्चित हो.
6. स्वास्थ्य विषयों पर सामुदायिक भागीदारी और सामाजिक चेतना बढ़ाने हेतु जन संवाद एवं अन्य कार्यक्रमों का स्थानीय स्तरों पर नियमित आयोजन किया जाए।
7. इस क़ानून और इसके प्रावधानों के बारे में आम जन और विशेषकर ग्रामीण इलाकों में अधिक से अधिक जानकारी का प्रचार व प्रसार करने हेतु विशेष जागरूकता अभियान चलाये जाएँ.