निर्णायक समिति के सदस्य लालित्य ललित ने व्यंग्यकार गोपाल प्रसाद व्यास और रवीन्द्रनाथ त्यागी का श्रद्धापूर्वक स्मरण किया। समीक्षा तैलंग के रचना कर्म की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि स्त्री स्वरों की उन्होंने जो बात की है, वह व्यंग्य की धार को आगे ले जाने में सहायक होगी। त्यागी जी की सुपौत्री पल्लवी ने प्रेम जनमेजय के प्रति आभार जताते हुए कहा कि खुशी फुलझड़ी की तरह होती है लेकिन उदासी मोमबत्ती की तरह होती है।त्यागी जी जैसे लोग कभी मरते नहीं। उन जैसे लोग हमेशा विचारों में और स्मृतियों में जिंदा रहते हैं ।
स्वागत भाषण में प्रसिद्ध साहित्यकार एवं इंडिया नेटबुक्स के महानिदेशक डॉ.संजीवकुमार ने कहा कि इस गुणवत्तापूर्ण आयोजन का हिस्सा बनना हमारा गौरव है। प्रेम जनमेजय हिंदी व्यंग्य के लिए अपना कीमती समय दे रहे है और बहुत कुछ कर रहे हैं। उनके मार्गदर्शन में हम भी व्यंग्य के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं और करना चाहते हैं। आज अच्छा व्यंग्य लेखन समय की मांग है और हम इसे प्रकाश में लाना चाहते हैं। अतिथियों का स्वागत हिंदी व्यंग्य का स्वागत है।
ज्ञान चतुर्वेदी का सम्मान डॉ संजीव कुमार एवं श्रीमती मनोरमा ने पौधे और पुस्तकों से , विशिष्ट अतिथि अनिल जोशी ने शॉल ओढ़ाकर, स्मृति चिन्ह दिविक रमेश ने भेंट किया, प्रशस्ति पत्र प्रेम जनमेजय ने दिया, श्रीफल लालित्य ललित ने और सम्मान राशि अशोक त्यागी और आशा कुंद्रा ने दी।कमलेश भारतीय ने डॉ ज्ञान चतुर्वेदी के प्रशस्ति पत्र का वाचन किया।
सुश्री तैलंग का सम्मान डॉ संजीव कुमार एवं श्रीमती कामिनी ने पौधे और पुस्तकों से, आशा कुंद्रा और सोनी लक्ष्मी राव ने शॉल और व्यंग्य यात्रा अंगवस्त्रम से, श्रीफल द्वारा लालित्य ललित ने, प्रशस्ति पत्र से दिविक रमेश और प्रेम जनमेजय ने, स्मृति चिन्ह अनिल जोशी ने और सम्मान राशि अशोक त्यागी और रत्नावली कौशिक ने दी। फारूक आफरीदी ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया।अतिथियों का स्वागत सोनी लक्ष्मी राव ने सभी को तिलक लगाकर और स्वागताध्यक्ष डॉ संजीव कुमार, मनोरमा, कामिनी, फारूक आफरीदी , कमलेश भारतीय, अनूप श्रीवास्तव , अंजू निगम ने किया।
'व्यंग्य यात्रा' अंगवस्त्रम से श्री गोविंद व्यास,रत्नावली कौशिक तथा जयपुर, हिसार और लखनऊ से विशेष रूप से आये फारूक आफरीदी , कमलेश भारतीय और अनूप श्रीवास्तव का स्वागत किया गया।।
त्यागी जी के पुत्र अशोक त्यागी ने धन्यवाद देते हुए कहा कि 2018 से आरम्भ हुआ यह सम्मान आज महत्वपूर्ण सम्मान बन गया है। त्यागी जी को आज हर पीढ़ी ने याद किया। त्यागी जी की गरिमा के अनुकूल इस आयोजन के लिए मेरा परिवार प्रेम जनमेजय के प्रति आभार प्रकट करता है। दिविक रमेश, अनिल जोशी जैसे प्रख्यात साहित्यकार आये और जयपुर, हिसार और लखनऊ से ही नही दिल्ली से भी अनेक व्यंग्यकार पधारे उन सबका आभार। समारोह में समीक्षा तैलंग के पति सुयश और उनके अनेक मित्र, गोविंद व्यास, रत्नावली कौशिक,अनूप श्रीवास्तव, आलोक पुराणिक,सुभाष चन्दर, अर्चना चतुर्वेदी, चंडीगढ़ से पधारे भूपेंद्र और श्रीमती अचला सहित बड़ी संख्या में साहित्यकारों की गरिमामय उपस्थिति रही। युवा व्यंग्यकार रणविजय राव ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया।