सादर आमंत्रण : 'व्यवस्था परिवर्तन संघ' की गठन प्रक्रिया में भागीदारी बाबत


सम्माननीय देश वासियों,

जय हिन्द!

लम्बे अर्से से महसूस हो रहा है कि देश में तंत्र 'लोक' पर भयंकर रूप से हावी हो चुका है। जिस तंत्र को लोक की सेवा करनी थी वो शोषण की रोज नई कहानी को जन्म दे रहा है। 'लोक' यानी देश के नागरिक यानी हम लोग, स्वयं को अकेला व बेसहारा महसूस कर रहे हैं। जनप्रतिनिधि जनता के नियंत्रण से बाहर हैं। वे तंत्र या 'प्रशासन' नामक जिन्न की मदद से खुलेआम नागरिक अधिकारों को कुचल रहे हैं,उनका सौदा कर रहे हैं तथा 'लोक' के अधिकारों एवं उनकी आजादी का ना सिर्फ दमन कर रहें हैं वरन् उसे अतार्किक रूप से जनहित का नाम भी दे रहे हैं । 

याद रहे जनप्रतिनिधि हमारे सेवक हैं और राजकीय कर्मचारी हमारी सेवा के कार्य को सुचारू ढंग से करने के लिए हमारे नौकर के द्वारा नियुक्त नौकर हैं। जनता के नौकरों (जनप्रतिनिधियों) और नौकरों द्वारा नियुक्त नौकरों (सरकारी कर्मचारी) दोनों के खर्चे जनता के यानी हमारे टैक्स से किए जाते हैं। 

सरकारी कर्मचारी स्वयं को जनप्रतिनिधियों व सरकार से बंधा पाते हैं,वे दो मुख्य बातें भूल जाते हैं ——

1. विभाग के दायरे से बाहर निकलते ही प्रत्येक सरकारी कर्मचारी अन्य विभागीय कर्मचारियों के सामने एक सामान्य नागरिक ही है,ठीक वैसे ही अकेला व असहाय जैसे कि देश के अन्य नागरिक । 

2. उच्च अधिकारी व जनप्रतिनिधि सरकारी कर्मचारी के मालिक नहीं होते हैं,सरकारी कर्मचारियों की मालिक तो देश की जनता है,जनता की नासमझी के कारण नौकर रूपी जनप्रतिनिधियों ने स्वयं को मालिक बताने का भ्रम फैला रखा है।  

सच तो यह है कि जनता की व्यस्तता,अरूचि,अज्ञानता व बिखराव के कारण इन सेवकों  को मनमानी का मौका मिल गया है और वे अपने मनमाने निर्णयों को बिना हमसे पूछे कानून की शक्ल में हम पर थोप रहे हैं तथा सार्वजनिक संसाधनों की लूट में लगे हैं । नेता व उनके पिछलग्गू कर्मचारी ''हमारी बिल्ली हम ही से म्याऊँ, आवाज उठाओ तो खाऊ खाऊ गुर्राऊ'' वाली कहावत को सार्थक करने लगे हैं।  

तंत्र की हालत ये है कि वो जनता की बजाय जनता द्वारा नियुक्त सेवक को अपना मालिक मान रही है तथा जनता की बजाय सफेदपोश कुर्ताधारी मालिकों के प्रति अपनी निष्ठा निभा रही है,लोकतंत्र,संविधान व नागरिक अधिकार जाएं भाड़ में ।

आज समय की मांग है 'लोकतंत्र' को निगलने का दुस्साहस करने वाले इन 'बिगडैल' नेताओं और नेताओं के पिछ्लग्गू सरकारी कर्मचारियों की नाक में लोक नियंत्रण की नकेल डाली जाए और उन्हें बताया जाए कि मालिक हम हैं, हम यानी हम भारत के लोग ।  

हमें नेताओं को समझाना होगा कि उन्हें हमने सिर्फ अपने निर्णय को विधानसभा,संसद आदि में रि—प्रजेन्ट करने के लिए चुना है, ना कि हमारी भलाई का नाम लेकर हमें बिना बताये,बिना हमारी सहमति के, अपनी निजी इच्छा व विवेक के अनुसार कोई भी मनमाना निर्णय हम पर थोपने के लिए। 

हमारी भलाई इसी में है कि जनप्रतिनिधि हमें यानी जनता को बताकर व जनसहमति के अनुरूप ​लिए गए निर्णय को ही विधानसभा,संसद आदि स्थानों पर रि—प्रजेंट करे। 

जनता की सहमति के बिना 'जनहित' का नाम लेकर किए जा रहे नेताओं के मनमाने निर्णयों ने ही इस देश के 'लोकतंत्र' को लूटतंत्र व लट्ठतंत्र में बदल दिया है। 

नेताओं की बेलगाम मनमानी पर लगाम लगाने के लिए जनता को एकजुट होना होगा,जनता की एकजुटता ही लोकतंत्र की ताकत है और मजबूत लोकतंत्र ही किसी देश की आजादी व खुशहाली की पहचान है। 

देश में लोकतंत्र को मजबूत बनाने व जनप्रतिनिधियों की मनमानी पर लगाम लगाने के मूल उदेश्य से ' व्यवस्था परिवर्तन संघ ' के नाम से एक मजबूत नागरिक संगठन बनाने के विचार को मूर्त रूप देने के प्रयास प्रक्रियाधीन है। 

'व्यवस्था परिवर्तन संघ' देश भर में पहली बार एक ऐसी तरकीब का प्रयोग करने हेतु तत्पर है जिसके परिणामस्वरूप भविष्य में देश के प्रत्येक स्तर पर कार्यरत जनप्रतिनिधियों पर स्थाई व नियमित लोकनियंत्रण स्था​पित किया जा सकता है। लोकनियंत्रण के अधिनस्थ जनप्रतिनिधियों एवं कार्मिकों के माध्यम से ही 'लोक हित' व लोकतंत्र सुरक्षित रह सकता है। 

याद रहे संगठन का लक्ष्य 'सत्ता परिवर्तन' नहीं है,'व्यवस्था परिवर्तन' है। आजादी के बाद से सत्ता परिवर्तन तो खूब हुए परन्तु ना तो सत्ता का चरित्र बदला और ना ही व्यवस्था की तसवीर। उक्त संगठन 'व्यवस्था की तसवीर' बदलने में योगदान देने का एक अभूतपूर्व प्रयास है। 

संगठन के रूप में हम किसी भी नेता या राजनीतिक दल का समर्थन या विरोध नहीं करना चाहते हैं, हम तो सिर्फ अपने चुने हुए जनप्रतिनिधियों यानी सेवकों की मनमानी पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं । हम चाहते हैं कि निर्णय प्रक्रिया में जनसहभागिता को एक अपरिहार्य तत्व के रूप में प्रतिस्थापित किया जाए।

देश वासियों से अनुरोध है कि यदि आप देश/प्रदेश की व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन की आवश्यकता महसूस करते हैं , और इस पवित्र महाअभियान में जुड़कर नागरिक अधिकारों एवं लोकतंत्र की रक्षा में योगदान देने के इच्छुक हैं तो आज 23 जनवरी 2022 को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती के पवित्र अवसर पर हम प्रत्येक देशवासी को 'व्यवस्था परिवर्तन संघ' के गठन की प्रक्रिया में भागीदारी निभाने हेतु सादर आमंत्रित करते हैं। 

कृपया नीचे दिए गए लिंक के माध्यम से अपना संक्षिप्त विवरण दर्ज करें ताकि योग्य नागरिकों का चुनाव कर संगठन के गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके ।

लिंक प्राथमिक विवरण फार्म :  'व्यवस्था परिवर्तन संघ' गठन  के इच्छुक नागरिकों हेतु———

https://forms.gle/NQyvNozABgu2xjkL8

नोट : ​

1.  यदि आप किसी भी प्रकार का विचार—विमर्श करना चाहते हैं या आपको फार्म भरने में कोई भी परेशानी आ रही है तो आप 9414349467 पर हमसे बात कर सकते हैं। 


शुभेच्छु :

अनिल यादव

सम्पादक,बैस्ट रिपोर्टर न्यूज

संस्थापक सदस्य,सतपक्ष पत्रकार मंच

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