रिपोर्ट : आशा पटेल
राज्यपाल श्री मिश्र बिड़ला सभागार में डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह के अवसर पर सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के सच्चे पोषक थे। उन्होंने देश की एकता और अखण्डता के साथ सदैव भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों पर जोर दिया। राज्यपाल ने बॉम्बे विधानसभा में वर्ष 1938 में दिए डॉ. अम्बेडकर के उस वक्तव्य का उल्लेख भी किया जिसमें उन्होंने कहा था कि समस्त लोग पहले भारतीय हों, और अंततः भारतीय हों तथा भारतीय के सिवाय और कुछ भी नहीं हों।
राज्यपाल ने कहा कि कानून की शिक्षा पूरी तरह से समाज से सीधे तौर पर जुड़ी शिक्षा है। उन्होंने विधि विद्यार्थियों का आह्वान किया कि समाज में मौजूद असमानताओं, लैंगिक भेदभाव, यौन अपराधों को दूर करने तथा महिलाओं और वंचितों के अधिकारों के बारे में जागरूकता लाने के लिए कार्य करें।
राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं तो मूलभूत कर्तव्य भी प्रदान किए हैं। उनके प्रति हम सभी को सजग रहने की जरूरत है। इसी दिशा में प्रदेश के विश्वविद्यालयों में संविधान पार्क की स्थापना की पहल की है ताकि नई पीढ़ी संविधान की उदात्त दृष्टि और आदर्शों से जुड़ सके।
राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि देश के आजादी आंदोलन में अधिवक्ता के रूप में राष्ट्रीय नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कानून की डिग्री धारक नेता स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रिम पंक्ति में रहे थे, इसलिए विधि विश्वविद्यालय में आजादी आंदोलन से जुड़े अधिवक्ताओं के महत्वपूर्ण भाषणों का भी अध्ययन करवाया जाए। उन्होंने कहा कि विधि पाठ्यक्रमों में राष्ट्र चेतना से जुड़े मुद्दों को भी जोड़ा जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना, मूल कर्तव्यों और इसके मूलभूत तत्वों की समझ आमजन मे विकसित हो जाए तो गरीबी-अमीरी, वर्गभेद सहित देश की कई समस्याएं स्वतः ही दूर होने लगेंगी। उन्होंने उपस्थितजनों को बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत को पाकिस्तान पर मिली विजय की 50वीं वर्षगांठ पर बधाई भी दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद कम समय में ही इसे बार काउंसिल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से मान्यता और भारतीय विश्वविद्यालय संघ की सदस्यता मिल गई है, जो सराहनीय है। उन्होंने उत्तर पुस्तिकाओं के ऑन स्क्रीन मूल्यांकन जैसे नवाचार करने के लिए विश्वविद्यालय की प्रशंसा भी की।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. देव स्वरूप ने विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर अब तक की विकास यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि विश्वविद्यालय को स्थायी कैम्पस के लिए जयपुर के निकट दहमीकलां में भूमि आवंटित की गई है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के कार्यक्षेत्र में अभी 80 विधि महाविद्यालय हैं, जिनमें प्रतिवर्ष 15 हजार छात्र-छात्राएं प्रवेश लेते हैं।
कुलाधिपति श्री मिश्र ने दीक्षान्त समारोह में एलएलएम (एक वर्षीय) उत्तीर्ण करने वाले 38 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की तथा तीन छात्राओं दीक्षा गोयल, प्राची शर्मा एवं इशिता साबू को योग्यता प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।राज्यपाल ने इससे पूर्व उपस्थित जनों को संविधान की उद्देश्यिका तथा मूल कर्तव्यों का वाचन भी करवाया।
दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्दराम जायसवाल, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, विधि विवि के प्रबंध मंडल एवं शैक्षणिक परिषद के सदस्यगण, शिक्षाविद, छात्र-छात्राएं एवं गणमान्यजन उपस्थित रहे।