हत्या के अभियुक्तों को आजीवन कारावास

 एडीजे-9(महानगर द्बितीय)घूकल राम कस्वां का फैसला, लोक अभियोजक सुरेश कुमावत ने की पैरवी

बैस्ट रिपोर्टर न्यूज।जयपुर। जवाहर सर्किल थाना क्षेत्र में 5 जनवरी 2016 को पुरानी रंजिश के चलते गोली मारकर हुई बलवीर सिंह राठौड़ की हत्या मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीया क्रम-9 महानगर द्बितीय घूकल राम कस्वां ने बुधवार को अभियुक्त आदतन अपराधी जितेन्द्र मीणा उर्फ जीतू और उसका सहयोग करने वाले अभियुक्त हिमांशु धनवानी को आजीवन कारावास एवं कुल 31 हजार रुपए के जुर्मानें की सजा सुनाई।

राज्य सरकार की ओर से लोक अभियोजक सुरेश कुमावत ने 25 गवाहों के बयान करवाते हुए अदालत को बताया कि इस संबंध में मृतक बलबीर के भाई दिलीप सिंह राठौड़ ने जवाहर सर्किल थानें में 6 जनवरी, 2०16 को एफआईआर दर्ज करवाई थी। अस्पताल में परिवादी को दिलीप ने अभियुक्तों जीतू, हिमांशु एवं साथियों पर जान से मारने के लिए गोली मारने की बात बताई थी। दोनों के बीच किसी बात को लेकर पुरानी रंजिश चल रही थी। दोनों पक्षों के बीच कई बार झगडा भी हुआ था। 

लोक अभियोजक सुरेश कुमावत ने कोर्ट को यह भी बताया कि पांच जनवरी, 2०16 को जवाहर सर्किल थाना इलाके में स्थित आनन्देश्वर महादेव मंदिर में पोषबडा महोत्सव के दौरान अभियुक्त जितेन्द्र मीणा ने बलवीर सिंह को पीठ में गोली मार दी थी। जितेन्द्र फरार होने के लिए इंतजार कर रहे हिमांशु धनवानी के साथ मोटर साइकिल पर बैठकर फरार हो गया। धनवानी मोटर साइकिल को चालू रखकर मौके पर ही खड़ा था। मंदिर में मौजूद लोग बलवीर सिंह को घायल अवस्था में अस्पताल ले गए। जहां इलाज के दौरान 1० जनवरी को उसकी मौत हो गई थी। जितेन्द्र के खिलाफ अनेक मुकदमें दर्ज होना बताये गये। कोर्ट ने जितेन्द्र मीणा और हिमांशु धनवानी को हत्या के अपराध में उपरोक्त सजा सुनाई।

Popular posts
मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी व न्यूरो इंटरवेंशन से ब्रेन स्ट्रोक पर हुआ राष्ट्रीय सेमिनार
चित्र
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले एवं आगजनी की एफडीसीए ने की कड़े शब्दों में निंदा
चित्र
58% छात्राओं के नामांकन के साथ आईआईएचएमआर ने शुरू किया नया बैच
चित्र
आर्च कॉलेज ने क्रिएटिविटी और इनोवेशन हेतु शिक्षकों और स्कूलों को किया सम्मानित
चित्र
गाँव तो पहुँच गया,लेकिन अपने ही घर में नहीं घुस पा रहा हूँ, हाथ पैर तोड़ने एवं हत्या के भय से जगह—जगह छुपता घूम रहा हूँ, लेकिन आखिर कब तक ?
चित्र