'राजनीति' देश व समाज की अपरिहार्य आवश्यकता है


 ''आप'राजनीति'कर रहे हैं,मत करो। विद्यार्थी राजनीति कर रहे हैं,मत करो। किसान राजनीति कर रहे हैं,मत करो'' आपने इस प्रकार की सलाह अक्सर सुनी होगी। इस सलाह को देने का तरीका कुछ इस प्रकार का होता है जिससे लगता है कि कुछ लोगों को छोड़कर यदि कोई भी व्यक्ति राजनीति कर रहा है तो वो गलत कर रहा है,उसे राजनीति करने का कोई हक नहीं है,राजनीति करके कोई पाप कर दिया है।
हमारी नज़र में 'राजनीति' देश व समाज की अपरिहार्य आवश्यकता है। समस्या 'राजनीति' नहीं है,समस्या है राजनीति शब्द का अर्थ। मेरे दृष्टिकोण में राजनीति शब्द के तीन अर्थ हैं
1. राज नीति ।
2. राज़ नीति !
3. राज्य नीति ।
नीचे बारी—बारी से राजनीति शब्द के इन तीनों अर्थों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है,आपकी राय का स्वागत रहेगा।
1. राजनीति शब्द का पहला अर्थ होता है— 'राज नीति '। यानी येन केन प्रकारेण जनता पर राज करने की योजना यानी साम्—दाम—दण्ड—भेद किसी भी प्रकार से जनता पर राज कायम रखने का हर सम्भव प्रयास राज नीति कहा जा सकता है पिछले कुछ दशकों से अधिकांश लोग राजनीति शब्द का प्रयोग मुख्यत: इसी अर्थ में करते व समझते हैं। दरअसल ये राजनीति शब्द का निकृष्टतम अर्थ है । राजनीति शब्द के इस निकृष्टतम रूप के प्रयोग की नीति, प्रजा के दृष्टिकोण से नीति के आवरण में भयंकर अनीति ही होती है। इस प्रकार की प्रवृत्ति लोकतंत्र, लोककल्याण एवं शांतिपूर्ण सह—अस्तित्व के दुर्लभ विचारों के लिए बेहद हानिकारक व ख़तरनाक होती है। राजनीति के इस अर्थ पर आधारित सत्ता और व्यवस्था में 'न्याय',सबका साथ,सबका विकास,सबका विश्वास जैसी बातें सिर्फ लोगों को भ्रमित करके ठगने की दृष्टि से की जाती हैं। राजनीति का इस अर्थ में प्रयोग करने वाली सत्ता अपने अतिरिक्त कभी किसी का भला कर ही नहीं सकती है।
2. राजनीति शब्द का दूसरा अर्थ होता है— 'राज़ नीति '। राज़ नीति का अर्थ होता है भेद नीति यानी सच्चाई को छुपाकर या राज़् को राज़ रखकर सत्ता का संचालन करने की नीति । इस अर्थ में राजनीति शब्द विष बनेगा या अमृत ये बात सत्ताधारी व्यक्ति की निजी प्रकृति व इच्छा पर निर्भर करता है। सत्ता में बैठा श्रेष्ठ व्यक्ति 'राज़'नीति का प्रयोग देश व जनता की भलाई हेतु कर सकता है वहीं सत्ता में बैठा कोई दृष्ट व्यक्ति इसका प्रयोग जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने के लिए एवं अपनी नाकामी छुपाने के लिए भी कर सकता है।
3. राजनीति शब्द का तीसरा अर्थ होता है— 'राज्य नीति '। राज्य—नीति का अर्थ होता है,राज्य की सत्ता का प्रयोग केवल और केवल राज्य की जनता के अधिकतम कल्याण की इच्छा से साक्षी भाव से करते रहना। जीवन को नश्वर एवं राज पद को जनकल्याण हेतु परमात्मा द्वारा दिया गया पवित्र व अल्पकालिक अवसर मानकर पूरी निष्ठा एवं क्षमता से ,स्वार्थ मुक्त होकर संसार में अपनी सर्वोत्म एवं न्यायोचित भूमिका का निर्वहन करते रहना। इस अर्थ में अपनाई व लागू की जाने वाली नीति ही वास्तव में किसी भी देश व समाज के लिए कल्याणकारी 'राजनीति' हो सकती है। वर्तमान में इस अर्थ में राजनीति करने की अत्यंत आवश्यकता है। दृष्टों व सत्ता लोभियों द्वारा गलत अर्थों में की जा रही राजनीति ने राजनीति शब्द को ही कलंकित कर दिया है। 'राजनीति' बुरी नहीं है,जीवन से मृत्यु तक संसार के प्रत्येक व्यक्ति का प्रत्येक पल राजनीतिक निर्णयों द्वारा प्रभावित होता है,अत: ध्यान रहे राजनीति बुरी नहीं है,राजनीति को गलत अर्थ में एवं गलत नीयत से करने वाले लोग बुरे होते हैं। अत: राजनीति को बुरा कहकर भागों मत,अपना पल्ला मत झाड़ो, यदि अच्छे लोग राजनीति से भाग जाएगें तो दुष्ट व गुण्डा प्रवृत्ति के लोग राजनीति में यानी हमारे और आपके जीवन पर हावी हो जाएगें, काफी हद तक ऐसा हो भी चुका है, परन्तु अब हमें जागना होगा, सही व गलत दोनों प्रकार के लोगों को पहचानना होगा,न्याय को समर्पित लोगों को अपना समर्थन देकर मजबूत बनाना होगा। यदि हम स्वयं भी उदाहरण ढूंढने की बजाय उदाहरण बनने का प्रयास करें तो सोने पर सुहागा होगा। सबसे बड़ी बात केवल विश्वास करने की बजाय अपने जनप्रतिनिधियों पर नियमित एवं समुचित नियंत्रण बनाए रखने हेतु संगठित होना पड़ेगा कोई उचित न्यायसंगत प्रणाली विकसित करनी होगी।