एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून किसान हित के लिए बेहद जरूरी : किसान महापंचायत


बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,जयपुर (अनिल यादव)। गोकुल भट्ट भाई समाधि स्थल दुर्गापुरा स्थित सर्व सेवा संघ सभागार में किसान महापंचायत की ओर से एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून की मांग को लेकर एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया । 

पत्रकार वार्ता में किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट, राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधिपति पाना चन्द जैन, कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.बी.एल.वर्मा , पूर्व प्रमुख शासन सचिव राजेंद्र भाणावत, पूर्व आईएएस रामस्वरूप जाखड़, पूर्व आईएएस जगरुप सिंह यादव, पूर्व आईएएस जस्साराम चौधरी, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक महताब सिंह, पूर्व आई पी एस डी.डी.सिह, जन संप्रभुता संघ के अध्यक्ष अनिल यादव, जन संप्रभुता संघ के कार्यकारी अध्यक्ष व गांधीवादी राजेन्द्र कुम्भज, पूर्व अध्यापक गोपीराम दवास, युवा प्रदेशाध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद चौधरी, युवा महामंत्री पिंटू यादव , पूर्व युवा प्रदेशाध्यक्ष रामलाल घोसल्या  ने संयुक्त वक्तव्य जारी कर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी के लिए विधि निर्माण को देश हित में अपरिहार्य बताया है। वार्ता में सरकार से मांग की गई की मंडी कैचमेंट एरिया में एमएसपी से कम दाम पर क्रय—विक्रय पर दण्डात्मक प्रतिबंध लागू करे।

वक्तव्य में कहा गया है कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष उपरांत अमृत काल तक भी किसानों की उपजों को भारत सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम दामों में बेचने को विवश होना पड़ रहा है । ऋण चुकाने की क्षमता भी नहीं रह पाने से लाखों किसानों को समय पूर्व ही जीवन लीला समाप्त करने के लिए विवश होना पड़ी हैं। कृषि प्रधान भारत के किसानों की यह व्यथा ही संपूर्ण व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाती है। सरकारों द्वारा गठित अनेकों आयोग एवं समितियां ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी के कानून बनाने की अनुशंसा की है। इसी क्रम में भारत सरकार के ही कृषि लागत एवं मूल्य आयोग ने भी न्यूनतम समर्थन मूल्य की सार्थकता के लिए खरीद की गारंटी का कानून बनाने की अनुशंसा को भी सात वर्ष पूरे हो चुके हैं। इतना ही नहीं तो भारत सरकार द्वारा कृषि सुधारों के अंतर्गत आदर्श कृषि उपज एवं पशुपालन (सुविधा एवं सरलीकरण) अधिनियम 2017 का प्रारूप तैयार किया गया। जिसे वर्ष 2018 में सभी राज्यों को प्रेषित कर दिया गया था। उसी के आधार पर राजस्थान में भी विधि निर्माण का प्रारूप तैयार किया गया किंतु वह अभी तक सरकार की आलमारी से बाहर नहीं आया है। यह स्थिति तो तब है , जब राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम 1963 की धारा 9(2)(xii)में घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में क्रय विक्रय को रोक सकने का प्रावधान किया हुआ है। इस प्रावधान को बाध्यकारी बनाने के लिए MAY को SHALL से प्रस्थापित करने की आवश्यकता है । इसके क्रियान्वयन के लिए राजस्थान कृषि उपज मंडी नियम 1963 की धारा 64(3) में "नीलामी बोली न्यूनतम समर्थन मूल्य से आरंभ होगी" जोड़ने की आवश्यकता है। इससे ही किसानों को घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्राप्ति सुनिश्चित हो जाएगी। जिस दिन "खेत को पानी और फसल के दाम" की नीति पर धरातल पर कार्यवाही आरंभ हो जाएगी, उस दिन से किसान ऋण मांगेंगे नहीं वरन् ऋण देने में सक्षम बन जायेंगे । तब भारत के ललाट से किसानों की आत्महत्या का कलंक धुल जाएगा और विश्व की अर्थव्यवस्था में हमारे देश का प्रथम स्थान हो जाएगा। इसी को दृष्टिगत रखते हुए राजस्थान एवं देश के किसानों ने प्रस्तावों के द्वारा उसी दल को मत एवं समर्थन देने का निश्चय किया है, जो 31 अगस्त तक इस प्रकार का कानून लाकर किसानों को आश्वस्त करेगा । इन प्रस्तावों में किसानों ने जाति ,धर्म, दल, संप्रदाय के आधार पर मतदान नहीं कर किसान के रूप में "पानी एवं दाम" के आधार पर मतदान करने का संकल्प लिया है। देश की अर्थ रचना को सही दिशा में मोड़ने के लिए यह आरंभिक कदम है । कृषि प्रधान भारत की समृद्धि का रास्ता खेत और खलिहान में होकर ही जाता है। स्वतंत्रता के उपरांत देश की अर्थ रचना में इस नीति की उपेक्षा ही नहीं की गई बल्कि मूल उत्पादक किसानों को उनके उत्पादों के लागत मूल्य भी नहीं देने के निर्णय लिए गए । इसके द्वारा सरकारों ने गरीबों को खाद्यान्न एवं उद्योगों को कच्चा माल सस्ता उपलब्ध कराने के भार से मुक्ति पाकर यह भार किसानों के कंधों पर डाल दिया, परिणामत: किसान ऋण में डुबता जा रहा है। इसे छिपाने के लिए संतुलित एवं समन्वित नीति का नाम दिया गया, जिससे मूल उत्पादकों में रोष उत्पन्न नहीं हो । 

भारतीय संविधान में कृषि एवं किसान कल्याण के संबंध में विधि निर्माण की शक्तियां राज्यों को सौंपी हुई है । उसके अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी के संबंध में राज्यों को कानून बनाने की अधिकारिता है। लोकहित के लिए संसद भी विधि का निर्माण कर सकती है उसके लिए कम से कम 2 विधानसभा या राज्यसभा के द्वारा संकल्प पारित होना आवश्यक है। इस प्रकार राज्य एवं केंद्र को विधि निर्माण के लिए शक्ति प्राप्त है।

वार्ता के दौरान स्थाई स्तम्भ के लेखक आई ए एस भाणावत ने कहा कि गांव से पलायन करने वालों को जहां शहरों में नारकीय जीवन जीना पड़ रहा है वही शहरों की स्थिति भी बिगड़ रही है। न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के कानून से इन समस्याओं का समाधान संभव है।

पत्रकार वार्ता का संयोजन गोपाल मोदानी ने किया ।