चे-ग्वेरा के 95 वें जन्मदिन पर गोष्ठी सम्पन्न, वक्ताओं ने कहा युवाओं को भगत सिंह व चे-ग्वेरा से लेनी चाहिए प्रेरणा


बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,जयपुर । विधायकपुरी थाने के समीप हथरोई स्थित स्वामी कुमारानंद सभागार में क्यूबा के क्रांतिकारी चे-ग्वेरा के 95 वे जन्मदिन पर ‘परिवर्तन के लिए समर्पित एक संवेदनशील यौद्धा’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। गोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रोफेसर आलोक श्रीवास्तव , प्रो. घासीराम एवं प्रगतिशील लेखक संघ के प्रदेश अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी  फारूक आफरीदी थे। 


प्रो. अलोक  श्रीवास्तव  ने कहा कि साम्राज्यवाद के मुकाबले के लिए भारत जैसे विकासशील देशों में संयुक्त मोर्चा बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर जनवादी क्रांति की आवश्यकता है, चे-ग्वेरा के यूएन में दिए भाषण का जिक्र करते हुए बताया कि विकासशील देशों के पास विकल्प दो ही हो सकते हैं मातृभूमि या मृत्यु । चेतना मारकर संरचना में ढलना कायरता है, हमें भगत सिंह व चे-ग्वेरा का ढोंग नहीं करना है बल्कि उनके रास्ते पर चलना है। 


कुणाल रावत ने कहा कि क्यूबा एक सुंदर देश है जहां बच्चे बच्चे में चे-ग्वेरा का जुनून है । अमेरिकी हमलों व सोवियत संघ के विघटन के बावजूद क्यूबा का आज तक ख़ड़ा रहना चे-ग्वेरा के अनुकरण का परिणाम है। 


प्रगतिशील लेखक संघ के प्रदेश अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी फारूख आफरीदी ने कहा भगतसिंह की तरह चे-ग्वेरा भी लोगों को मानसिक गुलामी से आजादी दिलाने के लिए हमेशा प्रासंगिक रहेंगें। आज महात्मा गाँधी को अप्रासंगिक बनाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। आज लोगों के दिल में गांधी नहीं है केवल मुंह पर गांधी है। आज चे-ग्वेरा को पुर्नजीवित करने तथा समाज में शांति, सदभाव, करूणा, मैत्री एवं समानता का वातावरण बनाने हेतु काम करने की आवश्यकता है। 


शैलेन्द्र अवस्थी ने कहा कि आज भय का मौहोल बना दिया गया है, लोग बोलने व लिखने से डर रहे हैं फिर भी कुछ लोग जोखिम लेकर बोल रहे हैं।  सरकार ने विचारों को फैलने से रोकने के लिए हूटिंग,ट्रॉलिंग व न्यायिक प्रक्रिया में उलझाने का भय दिखाकर जैमर लगा दिए हैं। 


प्रोफेसर घासीराम ने कहा कि गुटनिरपेक्ष आंदोलन दुनिया के विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण था। चे-ग्वेरा के देश क्यूबा का महिला सशक्तिकरण देश भक्ति का जज्बा  अनुकरणीय व प्रशंसनीय है। भारत की विविधता में एकता की रक्षा आज की महत्वपूर्ण चुनौती है, आज मणिपुर जल रहा है सीरीया की तरह हॉलात हो रहे हैं, मणिपुर की आग असम तक भी पहुँच सकती है । आज लोकतंत्र की रक्षा के लिए देश में शांति व एकता के आंदोलन को सशक्त बनाने की आवश्यकता है। 


राजेन्द्र कुम्भज ने कहा कि फासीवादी ताकतों को हराने के लिए क्रांति के आगाज की आवश्यकता है और हमें एकजुट होकर जयपुर की सड़कों से इसका शुभारंभ करना चाहिए।

कार्यक्रम का संयोजन वरिष्ठ पत्रकार सुनीता चतुर्वेदी ने किया। 

कार्यक्रम का सम्पूर्ण वीडियो नीचे संलग्न है।