डॉ. लालित्य ललित के 29वें व्यंग्य संग्रह ‘‘पाण्डेय जी की अजब ग़ज़ब दुनिया''का लोकार्पण


 बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,जयपुर । 21 मार्च। वरिष्ठ व्यंग्यकार-कवि एवं मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी, फारूक आफरीदी ने कहा है कि व्यंग्य अन्याय और असामाजिक तत्वों के विरुद्ध लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। डॉ. लालित्य ललित की व्यंग्य रचनाएं सामाजिक विसंगतियों और विद्रूपताओं पर प्रहार ही नहीं करती बल्कि समाज को संस्कारित एवं परिष्कृत करती हैं। 

आफरीदी ने प्रतिष्ठित व्यंग्यकार एवं कवि और नेशनल बुक ट्रस्ट के संपादक, डॉ. लालित्य ललित के 29वें व्यंग्य संग्रह ‘‘पाण्डेय जी की अजब ग़ज़ब दुनिया‘‘ का उज्जैन के प्रेस क्लब में लोकार्पण अवसर पर सारस्वत अतिथि के रूप में यह बात कही। व्यंग्ययात्रा के संपादक डॉ. प्रेमजनमेजय, वरिष्ठ व्यंग्यकार फारूक आफरीदी, विक्रम विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष, डॉ. हरि मोहन बुधौलिया, वर्तमान अध्यक्ष, डॉ. शैलेन्द्र शर्मा, भाषाविद् डॉ. राजेशकुमार, डॉ. उर्मि शर्मा, रणविजय राव, रमेश खत्री, हरीशकुमार सिंह, देवेन्द्र जोशी ने संग्रह का लोकार्पण किया। इसका आयोजन मध्यप्रदेश लेखक संघ, उज्जैन के तत्वावधान में किया गया।


आफरीदी ने कहा कि डॉ. लालित्य ललित अपने प्रमुख पात्र पाण्डेय जी के माध्यम से समाज के मध्यम वर्ग की तमाम चिंताओं को सामने लाने के साथ उनके पक्ष में खड़े होते हैं। उनके व्यंग्य करुणा का भाव जगाने के साथ सामाजिक बुराइयों पर कड़ा प्रहार करते हैं। वे व्यंग्य की दृष्टि से अपना मुहावरा गढ़ते हैं। उन्होंने व्यंग्य को प्रतिष्ठित करने का काम किया है जिससे देश के पांच विश्वविद्यालयों में उन पर शोधार्थी पीएचडी कर रहे हैं। उनके तीस व्यंग्य संग्रह और 60 कविता संग्रह उनके साहित्यिक अवदान को रेखांकित करते हैं।

समारोह के मुख्य अतिथि व्यंग्य यात्रा के संपादक डॉ. प्रेम जनमेजय ने कहा कि कबीर सबसे बड़े व्यंग्यकार थे। कबीर के आधे गुण भी आज हमारे भीतर नहीं हैं। ललित आज के समय के सच को सामने लाते हैं। व्यंग्यकार को शिव की भांति गरल पीना पड़ता है। व्यंग्यकार या साहित्यकार को अहंकार त्यागना पड़ता है। लालित्य ललित निरन्तर अपने आपको बेहतर बनाते चल रहे हैं। वे अब युवा रचनाकार से अग्रज रचनाकार बनते जा रहे हैं।

विक्रम विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र शर्मा ने देश में व्यंग्य की वर्तमान स्थिति और डॉ. ललित के व्यंग्य कर्म पर पत्रवाचन किया और सामाजिक सरोकारों के प्रति व्यंग्यकार के दायित्व को रेखांकित किया।

समारोह के अध्यक्ष और विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. हरिमोहन बुधौलिया ने कहा कि यह प्रतिष्ठा की बात है कि अब व्यंग्य की स्वीकार्यता बढ़ी है और उस पर गहन शोध कार्य हो रहा है। व्यंग्य सामाजिक परिवर्तन का माध्यम है।

डॉ. लालित्य ललित ने अपने उद्बोधन में  कहा कि वे समाज को खुली आंखों से देखते हैं और उनकी व्यथा को अपनी रचनाओं में पिरोते हैं। पांडेय जी जैसे मुख्य पात्र के जरिए वे व्यंग्य के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों को उघाड़ने का विनम्र प्रयास करते हैं।

भाषाविद् डॉ. राजेश कुमार, इंडिया नेटबुक्स के सीएमडी और अनुस्वार के संपादक डॉ. संजीव कुमार, कथाकार रमेश खत्री और व्यंग्यकार रणविजय राव ने भी विचार व्यक्त किए।

लेखक संघ के अध्यक्ष हरीशकुमारसिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। वरिष्ठ लेखक डॉ. देवेन्द्र जोशी ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में साहित्यकार उपस्थित थे।