विकास शुल्क हेतु नोटिस का ‘‘आरतिया’’ ने जताया विरोध

रिपोर्ट : आशा पटेल

अखिल राज्य ट्रेड एण्ड इण्डस्ट्री एसोसियेषन (आरतिया) द्वारा एक विज्ञप्ति जारी करके बताया कि जयपुर नगर निगम द्वारा औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योगों को अग्निषमन प्रमाणपत्र एवं नगरीय विकास शुल्क के नोटिस भेजे जा रहे हैं, जो कि नगर निगम द्वारा अपनी सुविधा के हिसाब से आद्योगिक क्षेत्रों में स्थित गोदामों एवं भण्डारण भवनों को उद्योगों की श्रेणी में मानकर किये जा रहे हैं, जो कि सर्वथा अनुचित है। ‘‘आरतिया’’ द्वारा इस संदर्भ में माननीय नगरीय विकास मंत्री एवं उद्योग मंत्री राजस्थान सरकार को पत्र लिखकर विरोध जताया गया है तथा इसे रोके जाने हेतु आग्रह किया है।

प्रदेषाध्यक्ष श्री विष्णु भूत ने बताया कि नियमानुसार व्यवसायिक भवनों के लिये ही ऐसे नोटिस दिये जाते हैं। स्वायŸा शासन विभाग ने एक आदेष जारी कर 30 जून, 2010 को रीको औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योगों के लिए नगरीय विकास शुल्क हटा दिया था इसलिये औद्योगिक भवन और भूमि इसके दायरे में नहीं आते है।

मुख्य संरक्षक श्री आषीष सर्राफ ने बताया कि नगर निगम द्वारा अपनी सुविधा के हिसाब से आद्योगिक क्षेत्रों में स्थित गोदामों एवं भण्डारण भवनों को उद्योगों की श्रेणी में नहीं मानकर उद्योगपतियों को परेषान करने एवं उनसे वसूली करने के लिये अन्य गतिविधियों के नाम पर ऐसे नोटिस दिये जा रहे हैं। उन्होंने मांग रखी कि रीको द्वारा जयपुर विकास प्राधिकरण की तरह ही उद्योगों को दी गई भूमि को वन टाईम लीज मनी लेकर फ्री होल्ड कर मालिकाना हक देना चाहिए। 

मुख्य सलाहकार श्री कमल कन्दोई ने बताया कि नगरीय विकास विभाग द्वारा भण्डारण, गोदाम और फ्री होल्ड जमीन के पट्टे देने का आदेष जारी किया हुआ है। अतः इन नियमों को उद्योगों पर भी लागू किया जाना चाहिये। इसके अतिरिक्त औद्योगिक क्षेत्रों में नियमों को जटिल ना रखते हुये सरलीकरण किया जाना चाहिया।

कार्यकारी अध्यक्ष श्री प्रेम बियानी ने बताया कि जब भी कोई औद्योगिक क्षेत्र डवलप होता है, तो उसके आस-पास के क्षेत्र में भी औद्योगिक गतिविधियां प्रारम्भ हो जाती है। अतः औद्योगिक क्षेत्रों के आसपास की ऐसी कृषि भूमि जिन पर औद्योगिक गतिविधियां चल रही है, उन्हें भी नीति निर्धारित कर औद्योगिक क्षेत्र का दर्जा प्रदान किया जाना चाहिये।