दुनिया में होने वाली मौतों में स्ट्रोक दूसरा प्रमुख कारण


बैस्ट रिपार्टर न्यूज,जयपुर। आशा पटेल । अनियमित जीवन शैली, गलत खान-पान और तनाव कई ऐसे कारण है जिसके कारण आज मानव शरीर बीमारियों का घर बनता जा रहा है। इन्ही वजह से जाने कितने ही लोग कई तरह की बीमारियों से पीड़ित हैं इसमें कई सामान्य सी बीमारियां है, जिन्हे समय रहते ठीक किया जा सकता है, लेकिन कई ऐसी गंभीर बीमारियां भी होती है जिसका समय पर उपचार न ले तो इंसान की मौत तक हो जाती है। इन बीमारियों में से ही एक है स्ट्रोक, अगर इस बीमारी के लक्षण दिखने पर मरीज अगर समय पर बीमारी का विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श या उपचार न ले तो ये जीवन के लिए खतरा बन सकती है। डॉ. सोनदेव बंसल, न्यूरो सर्जन, निविक हॉस्पिटल जयपुर ने बताया कि विश्व स्ट्रोक संगठन के अनुसार स्ट्रोक का खतरा हर चार व्यक्तियों में से एक को होता है और देश में एक लाख मरीजों में ब्रेन स्ट्रोक के 100 से 150 केस सामने आते हैं। विश्व स्ट्रोक संगठन के अनुसार पूरी दुनिया में हर साल लगभग 1.70 करोड़ लोग स्ट्रोक्स की समस्या का सामना करते हैं, जिसमें से 60 लाख लोगों की मौत हो जाती है। वहीं 50 लाख लोग स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं। दुनिया में होने वाली मौतों में स्ट्रोक दूसरा प्रमुख कारण है जबकि विकलांगता होने के मामलों में स्ट्रोक तीसरा प्रमुख कारण है।  डॉ. श्रवण कुमार चौधरी, कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर ने बताया कि रिस्क फेक्टर का मैनेजमेंट करके स्ट्रोक की दर को कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि स्ट्रोक मस्तिष्क के एक हिस्से में होने वाली वह क्षति है जो रक्त प्रवाह में रुकावट के कारण होता है। रक्त प्रवाह में रुकावट दो तरह से आ सकती है एक जब मस्तिष्क में जाने वाली धमनी बंद हो जाती है, तो इसे इस्केमिक स्ट्रोक कहा जाता है। दूसरा, जब धमनी फट जाती है, जिसे ब्रेन हेमरेज कहा जाता है। स्ट्रोक के लक्षण मस्तिष्क के उस हिस्से पर निर्भर करते हैं जो प्रभावित होता हैं उन्होंने बताया कि स्टोक की पहचान करने के लिए सबसे आसान तरीका है फास्ट (FAST-Pneumonic) यानिः

F= फेस (चेहरे के एक तरफ झुकना)।

A= आर्म (हाथों में कमजोरी)।

S= स्पीच (बोलने में परेशानी)।

T= एम्बुलेंस को कॉल करने का टाइम।

डॉ. एस.पी. पाटीदार न्यूरोलॉजिस्ट, जीवन रेखा हॉस्पिटल जयपुर ने बताया कि पहले स्ट्रोक एक उम्र के बाद या यो कहे कि 55 से 56 साल की उम्र वाले लोगों को ही ये रोग होता था, लेकिन गलत और अस्वास्थ्यकर खान-पान की आदते, जीवनशैली में बदलाव और शारीरिक निष्क्रियता के कारण आज युवाओं में भी स्ट्रोक के मामले बढ़ने लगे हैं। वहीं इसका दूसरे कारण हृदय रोग से पीड़ित होना, अधिक मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्रॉल भी है, जिसके कारण यह हमारी मस्तिष्क की धमनियों में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकती है, जिसके परिणाम स्वरूप स्ट्रोक आने का खतरा 90 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। 

डॉ. पंकज सिंह, न्यूरो सर्जन, निम्स हॉस्पिटल जयपुर ने बताया कि अचानक कमजोरी या चेहरे की सुन्नता, शरीर के एक तरफ के हाथ-पैर सुन्न हो जाना, चलने में परेशानी होना, बोलने या समझने में परेशानी होना,  सिरदर्द रहना आदि स्ट्रोक के शुरुआती लक्षण हो सकते है। हालांकि शुरूआती लक्षणों में हीं विशेषज्ञ डॉक्टर्स से परामर्श और उपचार से कई हद तक बीमारी पर काबू पाया जा सकता है और स्ट्रोक की गंभीरता पर उपचार के लिए ऑपरेशन या सर्जरी की जा सकती है।  वहीं रोजमर्रा के उपायों और जीवनशैली में बदलाव कर 80 प्रतिशत स्ट्रोक रोके जा सकते हैं, इसके लिए रक्तचाप को नियंत्रण में रखना, तंबाकू और सिगरेट का सेवन न करना, शारीरिक व्यायाम, योगा सहित पौष्टीक आहार और खान-पान पर संयम शामिल है।