F= फेस (चेहरे के एक तरफ झुकना)।
A= आर्म (हाथों में कमजोरी)।
S= स्पीच (बोलने में परेशानी)।
T= एम्बुलेंस को कॉल करने का टाइम।
डॉ. एस.पी. पाटीदार न्यूरोलॉजिस्ट, जीवन रेखा हॉस्पिटल जयपुर ने बताया कि पहले स्ट्रोक एक उम्र के बाद या यो कहे कि 55 से 56 साल की उम्र वाले लोगों को ही ये रोग होता था, लेकिन गलत और अस्वास्थ्यकर खान-पान की आदते, जीवनशैली में बदलाव और शारीरिक निष्क्रियता के कारण आज युवाओं में भी स्ट्रोक के मामले बढ़ने लगे हैं। वहीं इसका दूसरे कारण हृदय रोग से पीड़ित होना, अधिक मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्रॉल भी है, जिसके कारण यह हमारी मस्तिष्क की धमनियों में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकती है, जिसके परिणाम स्वरूप स्ट्रोक आने का खतरा 90 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
डॉ. पंकज सिंह, न्यूरो सर्जन, निम्स हॉस्पिटल जयपुर ने बताया कि अचानक कमजोरी या चेहरे की सुन्नता, शरीर के एक तरफ के हाथ-पैर सुन्न हो जाना, चलने में परेशानी होना, बोलने या समझने में परेशानी होना, सिरदर्द रहना आदि स्ट्रोक के शुरुआती लक्षण हो सकते है। हालांकि शुरूआती लक्षणों में हीं विशेषज्ञ डॉक्टर्स से परामर्श और उपचार से कई हद तक बीमारी पर काबू पाया जा सकता है और स्ट्रोक की गंभीरता पर उपचार के लिए ऑपरेशन या सर्जरी की जा सकती है। वहीं रोजमर्रा के उपायों और जीवनशैली में बदलाव कर 80 प्रतिशत स्ट्रोक रोके जा सकते हैं, इसके लिए रक्तचाप को नियंत्रण में रखना, तंबाकू और सिगरेट का सेवन न करना, शारीरिक व्यायाम, योगा सहित पौष्टीक आहार और खान-पान पर संयम शामिल है।