कोरोना के भय को भुलाकर,ज्ञान का दीपक जलाएँ,स्वयं व देश दोनों को स्वस्थ बनाएं


देशभर में लोग भयभीत हैं, सारी बीमारियां भूलकर लोग कोरोना—कोरोना और सिर्फ कोरोना की बातें सुनकर सहमें हुए हैं। लोग कोरोना से कम और हमारे देश के स्वास्थ्य ढांचे की कुव्यवस्था से अधिक डरे हुए हैं। हर जगह लूट व अफरा तफरी का आलम है । इस लूट व अफरा तफरी के आलम में मैं आपको कुछ सुझाव व मार्गदर्शन देना चाह रहा हूँ। यद्पि मैं एक डॉक्टर नहीं हूँ परन्तु पत्रकारिता के कारण सम्पर्क में आए अनेक डॉक्टरों एवं विशेषज्ञों से प्राप्त ज्ञान के आधार पर इस संकट की घड़ी में आपका मार्गदर्शन करके मैं अपना कर्तव्य निभाना चाहता हूँ और इसी इच्छा से मैं यह पोस्ट लिख रहा हूँ। उम्मीद है यह पोस्ट आपके लिए 99.99 प्रतिशत उपयोगी होगी ।

कोरोना जैसे लक्षण होने पर या कोरोना पॉजिटिव होने पर अपनाया जाने वाला घरेलू एवं बेहद विश्वसनीय ईलाज———

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1. DIP Dite अर्थात् ( Disciplined and intelligent People Dite ) लें ।

Day-1......

मरीज का वजन ÷ 10 के बराबर गिलास नारियल पानी एवं मौसमी या पाइनएप्पल जूस। उदाहरण के लिए यदि आपका वजन 60 किलो है तो आपको 6 गिलास नारियल पानी एवं 6 गिलास सिट्रीक एसिड युक्त फल का जूस की यानी संतरा/मौसमी/किन्नू/पाइन—एप्पल के जूस की आवश्यकता होगी। जीभ का टेस्ट बदलने के लिहाज से बताए गए इन फलों का इच्छानुसार एक—एक या दो—दो गिलास जूस लें। पूरे दिन प्रत्येक 2 घंटे में सिर्फ लिक्विड़ डाईट ही लेनी है, पानी के अतिरिक्त कोई चीज नहीं लेनी है।

Day-2......

मरीज का वजन ÷ 20 के बराबर गिलास नारियल पानी एवं मौसमी या पाइनएप्पल जूस सरल शब्दों में आपको पहले दिन से आधी मात्रा में नारियल एवं सिट्रीक एसिड युक्त फल का जूस लेना है।

मरीज का वजन x 5 = ग्राम टमाटर व खीरा सलाद । उदाहरण के लिए यदि मरीज का वजन 60 किलो है तो उसे 300 ग्राम टामाटर का एवं 300 ग्राम खीरे का सलाद दिनभर में लेना चाहिए

Day-3.....

ब्रेकफास्ट में——
मरीज का वजन ÷ 30 के बराबर गिलास नारियल पानी एवं मौसमी या पाइनएप्पल जूस

लंच में——
मरीज का वजन x 5 = ग्राम टमाटर का सलाद व इतना ही खीरे का सलाद । उदाहरण के लिए यदि मरीज का वजन 60 किलो है तो उसे 300 ग्राम टामाटर का एवं 300 ग्राम खीरे का सलाद लंच में लेना चाहिए

डिनर में---- दाल चपाती

 

डीआईपी डाईट , कोरोना के लक्षण दिखने पर या कोराना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के मामलों में बेहद उपयोगी है। इससे आप 99.99 प्रतिशत बिलकुल स्वस्थ हो जाएगें। बशर्ते आप घबरायें बिलकुल नहीं,अस्पताल भागने की हड़बड़ी कदापि ना करें ।

यदि आपको इसके संबंध में कोई सलाह या मार्गदर्शन चाहिए हो तो देश भर के करीब 600 डॉक्टरों का 'नाईस एक्पर्टस' नाम से एक ग्रुप है जोकि डॉ.विश्वरूप चौधरी,डॉ.तरूण कोठारी आदि के नेतृत्व में लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। उनकी 24 घंटे सक्रिय हैल्पलाईन है—— 8587059169 , इस हैल्पलाईन पर फोन करने के कुछ देर में ही एक एक्सपर्ट डॉक्टर आपसे टेलिफोनिक रूप से जुड़ जाएगा और तब तक जुड़ा रहेगा जब तक कि आप स्वस्थ नहीं हो जाते हैं।
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2. डीआईपी डाईट के साथ उपयोगी काढ़ा--

यदि आप डीआईपी डाईट के साथ एक खास काढ़ा पी लेते हैं तो रिकवरी की गति बढ़ जाती है। काढ़ा बनाने की प्रक्रिया इस प्रकार है———
-एक छोटा टुकड़ा अदरक, 5—6 तुलसी पत्ते, 3 लौंग, 3 या 4 कालीमिर्च लें तथा उन्हें 300 एमएल पानी में आधा होने तक उबालें। छानकर चाय की तरह सिप करके दिन में दो या तीन बार लें। 7 से 14 दिन तक ।

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3. प्रतिदिन दिन में तीन बार हल्दी पाउडर लें दूध या पानी के साथ


——— सुबह 9————दोपहर 3———— रात 9 —————5-5 ग्राम खाने के बाद।

3 से 7 दिन तक ।

यदि प्रीकोशन के रूप में लेना है तो मात्र 2 बार सुबह शाम।

हल्दी हम चाहें तो पूरी जिंदगी ले सकते हैं। ये हमें संक्रमण से बचाता है।

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4-प्रतिदिन स्टीमर या घर के सामान्य बर्तन से भाप लें।


भाप लेने का तरीका इस प्रकार रखें

स्टीमर में पानी भरो। उसमे एक चम्मच अजवाईन डालो। ऑन करो। आंख बंद करो। करीब 20 बार नाक से भाप खींचकर मुँह से निकालों इसके बाद करीब 20 बार ही इसका उल्टा करो यानी मुँह से भाप लेकर नाक से निकालो । प्रतिदिन दो या तीन बार भाप लें 5 से 10 मिनट तक । सावधानी के तौर पर भाप लेते समय मुँह को स्टीमर से करीब 6 इंच दूर रखें। छोटे बच्चों को अपनी निगरानी में मात्र 1 या 2 मिनट भाप दी जा सकती है।

5. प्रतिदिन कम से कम दो बार नमक के गुनगुने पानी गरारे करें अवश्य करें।


6. यदि आपको छाती में कफ भी है तो उसे कम करने के लिए आप छाती पर गर्म पानी के बैग से सिकताव कर सकते हैं। सुबह शाम नींबू की चाय पी जा सकती है ।

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यद्पि इन उपायों के बाद आपको कोई तकलीफ बचेगी ही नहीं फिर भी यदि आपको सांस लेने में तकलीफ या आक्सीजन की कमी महसूस होती है तो आप निम्न उपाय भी कर सकते हैं ———

1. गिलास पानी में फिटकरी का टुकड़ा 10 से 20 सेकण्ड रखों उसके बाद उस पानी को निकाल कर पी जाओ। दिन में दो बार लें यानी लगभग 12—12 घंटे में ।

2. होम्योपैथी की एक दवा है————Aspido Sperma Q इसे मदर टिंचर भी कहते हैं,एक गिलास पानी में 20 बूंद डालकर पीने से काफी फायदा होता है। इस उपाय के बारे में कोई प्रश्न हो तो पंजाब के डॉ. अमरजीत सिंह से उनके निजी नम्बर पर बात की जा सकती है। उनका नम्बर है —9999796273

3. आक्सीजन की मात्रा नापने हेतु एक उपकरण आता है—— पल्स आक्सीमीटर ।
संभव हो तो इसे खरीद लें या अन्य किसी से व्यवस्था कर लें। सामान्यत: आक्सीमीटर की रीडिंग 95 से 100 के बीच रहती है,परन्तु 90 तक रीडिंग होने पर कोई चिंता की बात नहीं होती है। यदि इससे कम रीडिंग जाती है तब भी घबराने की या आक्सीजन के लिए भागने या अस्पताल में बैड ढूंढने की आवश्यकता नहीं होती है।
ऐसा होने पर एक टैक्नीक अपनाने की आवश्यकता होती है जिसे हम कहते हैं———— 'प्रोन वैंटीलेशन' ।
इस तकनीक में मरीज को पेट के बल इस तरह लिटाना पड़ता है कि पेट दबे नहीं । इसके लिए गले के ठीक नीचे छाती पर, हिप्स वाले हिस्से के ठीक नीचे और पैरों के पंजों के नीचे वाले हिस्से पर एक—दो या तीन आवश्यकतानुसार मोटाई के तकिए इस तरह से लगाए जाते हैं कि पेट दबे नहीं ताकि हमारे फेंफड़ों के डायफ्राम को मूवमेन्ट के लिए उचित जगह मिल सके। इस पोजिशन में मरीज को करीब 2 घंटे लिटाने से आक्सीजन लेवल तेजी से बढ़ जाता है। यदि लेटे हुए मरीज के मुँह के पास टेबिल फैन भी चला दिया जाए तो मरीज को और अधिक फायदा होता है। 2 घंटे के बाद राईट करवट लेकर पुन करीब 2 घंटे लेटे रहें, इसके बाद लैफ्ट करवट लेकर करीब 2 घंटे रहें , इस क्रम को करीब 12 घंटे जारी रखें। हर दो घंटे में चाहें तो मरीज को 10 मिनट का पानी आदि समय दिया जा सकता है। राईट या लैफ्ट करवट लेते समय भी यथासम्भव पेट दबना नहीं चाहिए। हाथों की पोजिशन आप अपनी सुविधानुसार रख सकते हैं। यदि आपका आक्सीजन लेवल 60—70 तक भी आ पहुँचा है तो इस प्रोन— वैंटिलेशन से आपकी रिकवरी होने की संभावना 99.99 प्रतिशत सकारात्मक रहती है ।

आजकल देखा जा रहा है कि लोग हड़बड़ी में आक्सीजन की कमी से जूझते मरीज को बेहद गलत मुद्रा यानी पोशचर में गाड़ी में लेकर भाग रहे हैं या अस्पताल के बाहर लिटा कर बैठे हैं। याद रहे मरीज को यथासम्भव इस लेख में बताए गए प्रोन वैंटिलेशन की मुद्रा में रखें। यदि ऐसा संभव ना हो तो मरीज को आगे की ओर झुकर बैठने को कहें और हो सके तो तो उसके नाक से कुछ दूरी पर टेबल फैन या बैट्री से चलने वाला पोर्टेबल पंखा जोकि आनलाईन आसानी से मिल जाता है,चलाकर रखें ताकि मरीज को रीलीफ मिल सके।

जहाँ तक एक्स रे, सीटी स्कैन या एचआरसीटी का प्रश्न है, कोविड़ पॉजेटिव आते ही घबरा कर सीटी स्कैन या एचआरसीटी के पीछे ना भागें ये हमारे शरीर के लिए नगण्य फायदेमंद है ,लेकिन बेहद घातक एवं भविष्य में कैंसर कारक होता है, एक सीटी स्कैन करीब 400 एक्स रे की बराबर मात्रा में हमारे शरीर को रेडिएशन दे देता है अत: आम तौर पर अधिक से अधिक एक्स रे को प्राथमिकता दें, सीटी स्कैन या एचआरसीटी आदि को अंतिम विकल्प के रूप में बेहद कम मात्रा में वो भी डॉक्टर की विशेष सलाह से ही करायें। इसी तरह से बायो मारकर्स जैसे— ब्लड की सीबीसी,सीआरपी,एचएलडी,D डायमर आदि तरह—तरह की जाँचों की भी कोविड़ 19 की दृष्टि से कोई खास जरूरत नहीं होती है, इससे अनावश्यक चिंता बढ़ती है याद रहे मामूली से मामूली बीमारी में भी इनमें परिवर्तन आता रहता है। अत: बिलकुल पैनिक ना हों । फिर भी ये अपनी अपनी संतुष्टि एवं विशेष डॉक्टरी सलाह का विषय है। एक बात और कोविड़ पॉजेटिव आते ही प्रारम्भिक स्थिति में यानी शुरू के 6—7 दिन स्टीराइडस लेना बेहद ख़तरनाक हो सकता है,स्टीराईडस केवल बेहद गम्भीर पेशेंटस को दिए जा रहे हैं वो भी सिर्फ प्रायोगिक तौर पर अत: अपने स्तर पर ऐसा करके मामले की जटिलता को ना बढ़ायें।


4. यदि आपको बुखार भी आ रहा है तो घबराएं नहीं,बुखार बैक्टीरिया व वायरस को मारने के लिए हमारे शरीर द्वारा अपनाई जाने वाली ईश्वरीय प्रक्रिया है। हमारा शरीर अपना तापमान बढ़ाकर बैक्टीरिया/वायरस को मारने का प्रयास करता है। अत: 100,101 तक बुखार आए तो चिंता की कोई बात नहीं है,इतने टैम्प्रेचर तक यदि आप पैरासीटामोल भी ना लें तो अधिक उचित रहेगा। तापमान बढ़ते ही पैरासीटामोल सेवन जैसे उपाय करने से शरीर का तापमान अचानक गिर जाता है जिससे बैक्टीरिया/वायरस को फायदा होता है,हमारे शरीर को नुकसान क्योंकि तापमान घटने से बैक्टीरिया/वायरस को बेरोकटोक बढ़ने का अवसर मिल जाता है । 102 या इससे अधिक तापमान होने पर बर्फ के पानी में भिगोकर निचोड़ा हुआ कपड़ा बार—बार सिर पर रखकर तापमान नियंत्रित किया जा सकता है । एक,दो या चार दिन में बुखार स्वत: ही समाप्त हो जाएगा। बिलकुल चिंता ना करें ऊपर बताए गए डीआईपी डाईट चार्ट, काढ़े एवं हल्दी पाउडर के सेवन को जारी रखें, 99.9 प्रतिशत सकारात्मक परिणाम आएगें।

5. प्रतिदिन 15 से 30 मिनट तक धूप का सेवन करें,ये आपके शरीर में विटामिन डी की पूर्ति करेगा।


अंत में बेहद महत्वपूर्ण उपाय————

डरें बिलकुल नहीं । ईश्वर में मजबूत आस्था रखें। ईश्वर को शेष जीवन सद्कर्मो व सद्गुणों के लिए आश्वस्त करें । खाने—पीने का विशेष ध्यान रखें , शरीर को आराम दे , भरपूर नींद लें । अकेलेपन से डिप्रेशन होता है । डर व अकेलेपन से इम्यूनिटी कम हो जाती है अत: अपने प्रियजनों व मित्रों से बातचीत करते रहें। कॉमेड़ी मूवी या वीडियो देखते रहें। नकारात्मक समाचारों व नकारात्मकता फैलाने वाले लोगों से दूरी बनाकर रखें ।


मेरा परमपिता परमेश्वर में अटल विश्वास है,और ये विश्वास कहता है कि यदि आप बताए गए बिन्दुओं का अनुसरण करने के अलावा ईश्वर को हाज़िर—नाज़िर मानकर ये आश्वासन् दे सकते हैं कि आप अपनी जिंदगी का बचा हुआ समय संसार में सद्कर्म करने,सद्गुण अपनाने एवं सद् मार्ग हेतु लोगों को प्रेरित करने हेतु लगायेगें । मनसा वाचा कर्मणा किसी भी प्रकार से व किसी भी कारण से समाज में नफरत या दुर्गुणों को फैलाने में अपना लेश मात्र भी योगदान नहीं देंगें तो मुझे यकीन है 'कोरोना' तो क्या दुनिया की कोई भी ताकत आपका बाल भी बाँका नहीं कर पाएगी।

अच्छा सोचें! अच्छा बोलें। अच्छा ही करें !

शेष 'परमात्मा' पर छोड़ दें

स्वस्थ रहो! मस्त रहो! जन—सेवा में व्यस्त रहो!

इन्हीं शुभकामनाओं के साथ

जय हिंद!जय भारत!जय जगत!

शुभेच्छु!
अनिल यादव
बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,जयपुर।
सत्पक्ष पत्रकार मंच,जयपुर।
9414349467