‘तानाशाही की स्थाई नसबंदी एवं जन-सम्प्रभुता के सृजन व विकास पर ‘जन-सम्प्रभुता संघ’ का रणनीतिक संवाद सम्पन्न


बैस्ट रिपोर्टर न्यज,जयपुर । बापू नगर जयपुर स्थित विनोबा ज्ञान मंदिर सभागार में ‘जन संप्रभुता संघ’ की ओर से तानाशाही की स्थाई नसबंदी एवं जन-सम्प्रभुता के सृजन व विकास पर रणनीतिक संवाद सम्पन्न हुआ। 


संवाद के दौरान राजस्थान विश्विद्यालय के पूर्व उप-कुलपति के.एल.शर्मा ने बताया कि तानाशाही जोरों पर है, समाज को लगातार संकीर्णता की ओर धकेला जा रहा है, लोगों को असहमति को बर्दाश्त नहीं करने को उकसाया जा रहा है, एक समय में जयपुर में मेरा भारी स्वागत किया गया, आज कुछ लोगों ने ऐलान किया कि के.एल.शर्मा व उसके परिवार का जयपुर का कोई भी डॉक्टर ईलाज नहीं करेगा, ये स्थिति बेहद गंभीर है। 


समाजसेवी गणपत सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में श्रेष्ठ उम्मीदवारों का चयन ना हो पाने के कारण देश गलत दिशा में जा रहा है। 


प्यारेलाल शकुन ने जन-सम्प्रभुता को आज की आवश्यकता बताया तथा लोगों को प्रत्येक सत्ता की तानाशाही का विरोध करने का आह्वाहन किया। 


पत्रकार आशा पटेल ने कहा कि मैं जे.पी. द्वारा 5 जून को पटना के गांधी मैदान में किए गए सम्पूर्ण क्रांति के आह्वाहन की गवाह हूँ, आज देश को फिर एक ऐसे ही प्रयास की आवश्यकता है और इस प्रयास में नौजवानों की अहम भूमिका होनी चाहिए, आज का नौजवान मोबाईल में फंस कर रह गया है। 

राज.हाईकोर्ट के एडवोकेट प्रेम किशन शर्मा ने कहा कि नौजवान पीढ़ी स्वयं नहीं आएगी हमें उसके पास जाना होगा तथा उसका दिमांग खोलने एवं उनमें संवेदनशीलता पैदा करने की दृष्टि से संवाद कार्यक्रम बनाने होंगें। नौजवान के बिना काम नहीं चलेगा, नौजवान पीढ़ी हमसे ज्यादा प्रतिभावान है परन्तु हमें उसे सही दिशा देनी होगी। व्यवस्था परिवर्तन का कोई शार्ट कट नहीं है, पार्टी का परिवर्तन सिर्फ सत्ता परिवर्तन है, व्यवस्था परिवर्तन नहीं । 

युवा नरेन्द्र ने कहा कि फासीवाद से लड़ना है तो हमें उनके साथ ख़ड़ा होना होगा जिनके साथ अन्याय किया जा सहा है। हमें पूंजीवाद व फासीववाद के खिलाफ संघर्षरत विभिन्न संगठनों के बीच एक प्रगतिशील तालमेल बनाना होगा और ये सुनिश्चित करना होगा कि स्थापित राजनीतिक पार्टी के साथ ऐसा कोई तालमेल कदापि ना हो, जो पूंजीवाद व फासीवाद के साथ मिल सकती हो। बीजेपी को हराना जरूरी है परन्तु केवल उसे हराने से फासीवाद से मुक्ति नहीं मिलेगी। 

राजेन्द्र कुम्भज ने कहा कि फासीवाद व पूंजीवाद की लड़ाई लम्बी है परन्तु हमें ये लड़नी ही होगी, फिलहाल हमें तानाशाही ताकतों को राजस्थान एवं देश दोनों में हावी होने से रोकने की रणनीति पर गौर करना होगा। 

सीकर के पत्रकार शेरसिंह ने कहा हमारे पास संसाधन सीमित हैं परन्तु आपसी सहयोग से जयपुर में बड़ी सभा की जानी चाहिए, बुजुर्ग व युवा दोनों का तालमेल होना चाहिए। राम का कोई ठेकदार नहीं है, ठेकेदारों को भगाना जरूरी है, बड़े नाम के पीछे लोग आते हैं अतः देश के बड़े नामों को जोड़ो। पार्टी की बात नहीं, वाजपेयी भी थे परन्तु उन्होंने गंदगी नहीं फैलाई । 

पत्रकार विजय बहादुर गौड़ ने कहा कि आग सबके दिलों में है,पर लोग पहचान नहीं रहे हैं,छोटे-छोटे यू-ट्यूबर लोकतंत्र के लिए जबरदस्त संघर्ष कर रहे हैं। 

एडवोकेट घनश्याम ब्रजवासी ने कविता के माध्यम से संदेश दिया कि ‘ बदली है जमाने की हवा, तुम भी बदल जाए, गुजर गया जो गुजर गया अब तो संभल जाओ’ ।


हाजी मंजूर अली खां ने कहा कि देश व देश के रहने वाले  लोग परेशान हैं, देश का संविधान एवं उसमें वर्णित देश का धर्मनिरपेक्ष स्वरूप बिगाड़ा जा रहा है। आज स्थिति आपातकाल की जैसी है, आजं जरूरी है कि कारणों की गहराई में डूबने की बजाय इस बात पर पहले काम किया जाए की मरीज की जान बचाई कैसे जाए ? हमें सबसे पहले देश के संविधान का बचाना होगा,उसे बचाने के लिए सत्ता परिवर्तन जरूरी है ताकि हमें तानाशाही प्रवृत्तियों की स्थाई रोकथाम एवं लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी उपायों पर सोचने का थोड़ा समय मिल सके। नौजवानों को तैयार करने की आवश्यकता है, इसकी जिम्मेदारी है अनुभवी लोगों की है, उन्हें अपने साथ हमेशा कुछ नौजवानों को रखना चाहिए,बैठकों में लाना चाहिए। बुजुर्ग लोग दौड़भाग नहीं कर सकते परन्तु नौजवानों के दिमाग में जमा किए जा रहे कचरे को तो घर बैठकर भी, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से धो सकते हैं, उनका ब्रेन वाश कर सकते हैं। हमें मोबाईल के माध्यम से प्रतिदिन कुछ चयनित नौजवानों से संवाद बनाते रहना होगा, घर के और पड़ौस के लोगों को तैयार करना होगा, साथ ही हमें तानाशाही के खिलाफ संघर्षरत विभिन्न संगठनों के बीच ‘कॉमन मिनिमम प्रोग्राम’ के आधार पर तालमेल बनाना होगा। माना हमारे पास फासीवादी ताकतों जैसा कैडर तो नहीं है परन्तु हर संगठन के पास लोग हैं, हमें उन्हें एकजुट करना होगा।


जन-सम्प्रभुता संघ के अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि आज जनता की ही नहीं पूरे देश की सम्प्रभुता ख़तरे में है, सम्प्रभुता का अर्थ है स्वयं के मामलों में निर्णय लेने का अंतिम या सर्वोच्च अधिकार। हमारी सम्प्रभुता को खतरा है पूंजीवादी ताकतों से, ये ताकते स्थानीय सत्ताधीशों के माध्यम से हमें आपस में लड़ाकर, तरह तरह के व्यर्थ मुद्दों में उलझाकर रख रही हैं तथा पिछले दरवाजे से धीरे-धीरे हमारी व हमारे देश की सम्प्रभुता को निगलने की कोशिश कर रही है। यादव ने लोगों का ध्यान बिल गेट्स जैसे पूंजीपतियों की प्रेरणा से और डब्ल्यूएचओ के माध्यम से लाई जाने वाली ‘ इनटरनेशनल पैंडेमिक ट्रीटी’ की ओर दिलाते हुए बताया की यह ट्रीटी भारत सहित सभी देशों एवं उनके नागरिकों की सम्प्रभुता को समाप्त कर देगी और हमें अंतहीन गुलामी के दौर में धकेल देगी। अतः हमें समझना होगा तथा पंजीपतियों के इस और इस जैसे सभी षडयंत्रों को सफल होने से रोकने के लिए अपने अपने जन-प्रतिनिधियों पर जनता का नियंत्रण स्थापित करना होगा, उन्हें विभिन्न दलों के आलाकमानों के नियंत्रण से आजाद कराना होगा। किसी भी आलाकमान का बंधुआ जन-प्रतिनिधि अपनी जनता को सिर्फ गुलाम बना सकता है, उसकी आजादी का सौदा कर सकता है परन्तु उसे उसकी आजादी की रक्षा नहीं कर सकता है। राजनीतिक दल सिर्फ सत्ता परिवर्तन की लड़ाई तक सीमित हैं, सीमित रहे हैं और भविष्य में भी वहीं तक सीमित रहेगें। यदि व्यवस्था परिवर्तन करना है तो हमें लोगों को दलीय पिंजरों से आजाद कराकर नागरिक बनाने की ओर प्रेरित करना होगा तथा देश में जारी आभासी लोकतंत्र को वास्तविक लोकतंत्र में बदलना होगा।

संवाद में पत्रकार आशा पटेल, एडवोकेट घनश्याम बृजवासी, डॉ. राम प्रकाश चन्देल, राजेश चौधरी, पवन यादव, आयुष, राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति प्रो. के.एल.शर्मा, गणपत सिंह, डॉ.अनिल कुमार जैन, दुलीचन्द कडेल, मोहम्मद मुस्तफा, गोपीनाथ शर्मा, पत्रकार पी.सी.योगी, आजाद, नरेन्द्र, शहजाद आलम, खालिद मंजूर, राजेश नरूका, विजय बहादुर गौड़, अंजूरानी करेडिया,हाफिज मंजूर अली खां ने शिरकत की।



नोट : कार्यक्रम वीडियो मे 1घंटा 10 मिनिट तक तकनीकी कारण से आवाज़ गायब है, उसके बाद आवाज आ रही है