अंतरराष्ट्रीय कांक्लेव 2023 की संयोजक प्रीति शर्मा ने बताया की वॉइस चांसलर प्रोफेसर डॉ बी चटर्जी के गतिशील नेतृत्व में यूनिवर्सिटी एवं इसके विद्यार्थियों ने कई कीर्तिमान स्थापित किए है। अपने उद्घाटन उद्बोधन में उपकुलपति श्री चटर्जी ने बताया कि विद्यार्थियों को तेज बदलती हुई तकनीकी तथा आईटी क्रांति से डरना नहीं है बल्कि उसको अंगीकार करना है और उसे अपने प्रोफेशनल कैरियर के साथ-साथ अपने आप को अपडेट रखना है। श्री चटर्जी ने अपने विश्वविद्यालय के प्रबंधन के माध्यम से भविष्य के होने वाले मैनेजरों को कई मैनेजमेंट के मंत्र बताएं तथा यह मंत्र सभी क्षेत्रों में मूल रूप से ध्यान में रखने होंगे। अंतरराष्ट्रीय मैनेजमेंट कॉन्फ्रेंस के पहले पैनल डिस्कशन के प्रमुख स्पीकर डॉ प्रोफेसर अनिल मेहता जो कि विख्यात मैनेजमेंट गुरु है तथा मैनेजमेंट पर अनेकों पुस्तक लिखी है ने चर्चा के दौरान बताया कि देश को बुलंदियों पर ले जाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को आगे ले जाते हुए मानवीय चेहरे को नहीं भूलना है क्योंकि विज्ञान के साथ-साथ मानवीय सॉफ्ट स्किल के बगैर यह विकास अधूरा होगा।
उन्होंने बताया की विज्ञान को हमें सेवक ही बना कर रखना है मालिक नहीं बनाना। विज्ञान मानव के लिए है ना कि मानव विज्ञान के लिए है पैनल के प्रमुख वक्ताओं में प्रोफेसर डॉ त्रिलोक कुमार जैन ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में युवाओं को देश के विकास में तथा 85 परसेंट आबादी जो ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या के लिए रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य पर काम करने का आह्वान किया । अंतरराष्ट्रीय मैनेजमेंट कांक्लेव में प्रमुख वक्ताओं में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रोफेसर डॉ प्रदीप कुमार शर्मा ने भी बहुत ही शिक्षाप्रद मार्गदर्शन दिया। वित्तीय मामलों में अपनी अहम भूमिका रखने वाले एक्सपर्ट श्री अनिल अग्रवाल मैनेजिंग डायरेक्टर नव बैक ऑफिस ने वित्त प्रबंधन पर बहुत ही अच्छी जानकारी दी। मैनेजमेंट कांक्लेव के दूसरे सत्र को संबोधित करने वाले नामी-गिरामी राजस्थान तथा दिल्ली के वक्ताओं में मणिपाल यूनिवर्सिटी के डॉ सौरभ शर्मा, श्री मनीष साहू चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर कृति टेक्नोलॉजीज, तथा एमिटी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एवं मैनेजमेंट गुरु डॉ अजय पांडे ने भौतिक संसार तथा ज्ञान मानव के आचरण मैं हारमोनी स्थापित करने के मंत्र बताएं ।
चर्चा के दौरान श्री केएस यादव पूर्व क्षेत्रीय निदेशक भारत सरकार ने सरकार की यूनिवर्सल हुमन वैल्यूज तथा नई शिक्षा नीति के महत्व पर जोर देते हुए बताया कि शिक्षण संस्थाओं तथा उद्योगों को मिलकर कार्य करना होगा तथा समय के अनुसार शैक्षणिक कार्यक्रम में बदलाव करना होगा तथा इंडस्ट्री की बदलती हुई के हिसाब से सिलेबस को अपडेट करना होगा।
अंतर्राष्ट्रीय कांक्लेव के समापन अवसर पर सभी रिसर्च स्कॉलर को प्रमाण पत्र तथा स्मृति चिन्ह वितरित किए तथा वाइस चांसलर डॉ प्रोफेसर विश्वाजॉय चटर्जी ने अपनी यूनिवर्सिटी के सभी फैकल्टी स्टाफ तथा स्टूडेंट कम्युनिटी के प्रयासों को इतनी विशाल कांक्लेव को सफल बनाने के लिए पूरी टीम को श्रेय दिया तथा उनका मनोबल बढ़ाया।