स्व. ललित गोस्वामी की पुस्तक ‘मेरे गीत’ के नए संस्करण का लोकार्पण

 पं. आलोक भट्ट के निर्देशन में कलाकारों ने सजाया गीतों का आशियाना


बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,जयपुर(रिपोर्ट :आशा पटेल/अनिल यादव)। अपने गीतों से साहित्य जगत में धूम मचाने वाले गीतकार स्व. ललित गोस्वामी की पुस्तक ‘मेरे गीत ' के नए संस्करण का रविवार को शहर के अनेक साहित्यकारों और विचारकों ने मिलकर सामूहिक लोकार्पण किया। 

इस मौके पर शहर के अनेक जाने-माने गायक गायिकाओं ने इस पुस्तक के गीतों को अपनी आवाज़ में पिरोया तो गीत एक एक शब्द उभरकर लोगों के दिलों में उतरता चला गया। आई इंडिया के निदेशक प्रभाकर गोस्वामी के संयोजन में आर.ए.एस. सेवा भवन में आयोजित समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार हेमन्त शेष, इंदू शेखर तत्पुरूष और पुष्पा गोस्वामी ललित गोस्वामी के कृतित्व और व्यक्त्वि के साथ साथ इस पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त किए।  

इस मौके पर जाने-माने संगीतकार पं. आलोक भट्ट, शास्त्रीय गायिका प्रो. सुमन यादव, डॉ. विजयेन्द्र गौतम, डॉ. गौरव जैन, दीपशिखा जैन, सुमन्त मुखर्जी और संगीत शर्मा ललित गोस्वामी के गीतों को अपने स्वर दिए।


गोस्वामी की पुस्तक 'मेरे गीत' का संक्षिप्त परिचय

आकाशवाणी और पत्र पत्रिकाओं में अपने समय के  जाने माने गीतकार स्व. ललित गोस्वामी की  पुस्तक श्मेरे गीतश् आकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों से प्रसारित एक सौ गीतों का यह संग्रह है जो १९५८ में पहली बार  आत्माराम एण्ड संस दिल्ली से छपा था। अब तक यह संस्करण ही सुलभ नहीं था जिसमें  ललित जी की गीतयात्रा पर लिखी भगवतीचरण वर्मा, पंडित उदयशंकर और पंडित नरेन्द्र शर्मा जैसे दिग्गज लेखकों की सम्मतियां शामिल थीं। पुस्तक के नए संस्करण में उक्त विद्वानों के अलावा कलानाथ शास्त्री व  मनोहर प्रभाकर के आलेख भी शामिल करते हुए अब परिवर्धित पुस्तक श्शब्दार्थ प्रकाशनश्  जयपुर द्वारा प्रकाशित की गई है। नए संस्करण के संपादन का दायित्व आई इंडिया के निदेशक श्री प्रभाकर गोस्वामी ने श्री हेमंत शेष को दिया था। पुस्तक में १२० पृष्ठ हैं जिसके आवरण पर ललित गोस्वामी जी का एकमात्र उपलब्ध दुर्लभ व्यक्तिचित्र छापा गया है। सभी एक सौ गीत गेय हैं और आसानी से संगीतबद्ध किए जा सकते है। पहले भी समय समय पर किए गए हैं। अब इस संकलन के आ जाने से नई पीढ़ी के गायकों को भी ये  सुंदर मधुर सरल गीत एक जगह सुलभ हो सकेंगे। प्रभाकर गोस्वामी की वैयक्तिक पहल से एक दुर्लभ पुस्तक पुनः दिना लोक देख सकी है।