पत्रकार पर अकारण सुनियोजित हमला,थाना इंचार्ज ने आरोपित को पागल बताकर झाड़ा पल्ला

बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,जयपुर। क्या हो अगर कोई आप पर अकारण जानलेवा हमला कर दे,लगातार जान से मारने व परिवार को क्षति पहुँचाने की घमकी दे और पुलिस कोई ठोस कार्यवाही करने की बजाय आरोपित को पागल बताकर पल्ला झाड़ ले। चौंकिए नहीं ये वाकया है सांगानेर सर्किल थाने का,पीड़ित पक्ष है एक वरिष्ठ पत्रकार, पीड़ित को टरकाने वाले थानेदार जी हैं हरिसिंह दूधवाल। मामला कुछ इस तरह है कि दिनांक 2 नवम्बर धनतेरस के दिन प्रतापनगर सैक्टर 3 निवासी वरिष्ठ पत्रकार गोपाल गुप्ता के पड़ौसी पूर्व बैंक अधिकारी साधूराम के इशारे पर उसके छोटे भाई जगदीश ने अकारण ही घर से मालवीय नगर स्थित अपने समाचार—पत्र कार्यालय को रवाना होते समय वरिष्ठ पत्रकार गोपाल गुप्ता की कार को आगे खड़े होकर गाली गलौच करते हुए पत्रकारिता निकालने की घमकी देते हुए जबरन रूकवाया । गुप्ता कुछ समझ पाते इससे पूर्व ही आरोपित जगदीश ने अपने पीछे छुपाकर लाए गए डंडे से सिर का निशाना लेकर पत्रकार गोपाल गुप्ता पर प्राणघातक हमला कर दिया। पत्रकार गोपाल गुप्ता की सतर्कता ने सिर पर किए गए वार को तो निष्फल कर दिया परन्तु इस प्रक्रिया में उनके हाथ व पैर पर चोटे आई। अपनी आपबीती की शिकायत लेकर जब पत्रकार गुप्ता जब सांगानेर सर्किल थाने के एसएचओ हरिसिंह दूधवाल से मिले तो उन्होने मामले को टालते हुए पीसीआर भेजकर आरोपित को पकड़वाने का आश्वासन दिया,परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की। उसी शाम 4 बजे आरोपित जगदीश ने पुन: गुप्ता से गाली गलौच किया व जान से मारने की धमकी दी तो पीड़ित पत्रकार ने आरोपित के खिलाफ एफआईआर संख्या 0553 दर्ज करा दी। बावजूद इसके पुलिस की ओर से आरोपित को अगले दिन शाम तक नहीं पकड़ा, पुलिस की निष्क्रियता का लाभ उठाकर आरोपित जगदीश 3 नवम्बर शाम करीब 6 बजे फिर से धारधार हथियार के रूप में एक नुकीला चिमटा लेकर पत्रकार गोपाल गुप्ता के घर पर जा घमका व गाली गलौच व जान से मारने की धमकी देने लगा। पत्रकार गोपाल गुप्ता द्वारा थाने फोन करने पर थाने से पीसीआर तो भेजी गई,पीसीआर आरोपित जगदीश को अपने साथ ले भी गई परन्तु कुछ ही देर में बिना किसी कार्यवाही के उसे छोड़ दिया । जब पत्रकार गुप्ता ने इस पर आपत्ति जताई तो थानेदार ने झूठ बोलते हुए जवाब दिया कि आरोपित जगदीश पागल है,उसके भाई साधूराम ने पागल का प्रमाण—पत्र पेश किया था और कानूनन हम पागल को थाने में नहीं रख सकते हैं अत: हमें उसे छोड़ना पड़ा। जब पत्रकार गुप्ता ने एसएचओ से कहा कि पागल है तो उसे पागलखाने में भर्ती करवाओ या उसके भाई साधूराम को जिसने उसकी जमानत दी है तथा जिसके साथ आरोपित जगदीश रहता है उसे पाबन्द करो तो एसएचओ हरिसिंह दूधवाल ने नाराज होते हुए सख्त लहजे में घमकाते हुए पत्रकार गोपाल गुप्ता को कहा कि ''हमे हमारा काम ज्यादा सिखाने की जरूरत नहीं है, पागल को पागलखाने में ले जाने का काम हमारा नहीं है, हम कुछ नहीं कर सकते आप अपने स्तर पर निपटो'' पुलिस के एक जिम्मेदार अधिकारी एसएचओ हरिसिंह दूधवाल के मुँह से इस तरह की पल्ला झाड़ने वाली घमकी सुनकर पत्रकार गोपाल गुप्ता स्तब्ध रह गए।

सवाल उठता है कि 1. क्या एसएचओ हरिसिंह दूधवाल द्वारा इस प्रकार का लापरवाही पूर्ण जवाब व उदासीन कार्यवाही उचित है,वो भी एक पत्रकार से,सामान्य जनता का तो भगवान ही मालिक है ? 2. क्या पागल होने का प्रमाण—पत्र या मानसिक अवसाद की दवा की मात्र एक पर्ची किसी भी व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति पर प्राणघातक हमला करने के दोष से दोषमुक्त कर देती है ? अवव्ल तो आरोपित जगदीश पागल है ही नहीं,ये अपने अपराध की सजा से बचने का सिर्फ एक हथियार है और यदि उसे कोई मानसिक समस्या है भी तो भी या तो वो समस्या अति—गम्भीर किस्म की हो सकती है या सामान्य किस्म की हो सकती है। समस्या यदि गम्भीर किस्म की है तो उसे मानसिक चिकित्सालय में होना चाहिए और यदि सामान्य है तो उसके परिजनों को पाबंद किया जाना चाहिए। असामाजिक व्यवहार वाले किसी पागल व्यक्ति को समाज में किसी को भी मारने के लिए खुला नहीं छोड़ा जा सकता है।  पुलिस के एसएचओ द्वारा 'पागल' कह कर पल्ला झाड़ना शांति—व्यवस्था के मध्यनज़र बेहद असंवेदनशील रवैया है। पुलिस के उच्चाधिकारियों को मामले का संज्ञान लेकर आरोपित जगदीश पर कानूनसम्मत कार्यवाही कर पत्रकार गोपाल गुप्ता के लिए भयमुक्त वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए।