बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,जयपुर । जयपुर के पिंकसिटी प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस वार्ता के अनुसार आगामी 15 सितंबर 2021, "अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस" के अवसर पर "किसान मोर्चा-राजस्थान" जयपुर के “बिरला ऑडिटोरियम” में तीनों काले कानूनों पर "किसान संसद" का आयोजन करने जा रहा है । जिसमें संपूर्ण रूप से संसदीय प्रक्रिया के तहत कृषि कानूनों पर बारिकी से चर्चा होगी । कोरोना काल के दौरान जिस प्रकार केंद्र सरकार द्वारा चोरी छिपे पहले अध्यादेश के माध्यम से तथा फिर बिना किसी संसदीय प्रक्रियाओं का पालन किए लाए गए और जबरदस्ती थोपे गए तीनों किसान विरोधी कृषि कानून भारतीय लोकतंत्र के लिए एक काला अध्याय है । सरकार ने कानून बनाने से पहले देश के किसी भी किसान संगठन एवं किसानों की प्रतिनिधि संस्था से बातचीत नहीं की, इससे साफ जाहीर होता है की यह कृषि कानून सिर्फ नाम के हैं, वास्तविकता में यह कॉर्पोरेट कानून है । इन किसान विरोधी कृषि कानूनों के विरोध में देश के 500 से अधिक किसान संगठनो के नेतृत्व में लाखों किसान विगत 1 वर्ष से भी अधिक समय से लगातार आंदोलनरत है तथा पिछले 9 महिने से दिल्ली के चारों ओर बॉर्डरों पर सर्दी, गर्मी व बारिश के साथ ही तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद लगातार शांतिपूर्ण आन्दोलन जारी रखे हुए है । किसानों का यह आंदोलन विश्व के किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मर्यादाओं को आगे बढ़ाने एवं परिपक्व करने की दृष्टि से एक मील का पत्थर साबित हुआ है । दूसरी ओर केंद्र सरकार की किसानों के प्रति बर्बरता एवं असंवेदनशीलता ने भारतीय लोकतंत्र को शर्मसार किया है । वर्तमान मानसून सत्र के दौरान भी एक बार पुनः केंद्र सरकार ने आंदोलनरत किसानों एवं विपक्ष की आवाज को पूरी तरह दबाकर अनसुना किया है । बिना बातचीत और बहस के केंद्र सरकार ने एक बार पुनः अलोकतांत्रिक तरीकों से कई विधेयकों को पास करवाया है । ऐसी स्थिति में संसद की प्रासंगिकता लोकतंत्र में बंधक जैसी हो गई है । जिस संसद को लोगों की आवाज बनना चाहिए था, वह संसद आज केवल शोर-शराबे का स्थान बन कर रह गई है । विपक्ष भी छाया मंत्रिमंडल जैसे प्रयासों के स्थान पर शोर-शराबे को ही लोकतंत्र मान बैठा है ।
प्रस्तावित "किसान संसद" में 543 लोकसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हुए एक विशेष प्रक्रिया से चयनित "किसान सांसद" किसान संसद में हिस्सा लेकर, तीनों कृषि कानूनों के विरोध में अपनी स्वतंत्र, सारगर्भित, वास्तविक एवं तथ्यात्मक रिपोर्ट तथा एमएसपी गारंटी कानून देश के किसान तथा आम आदमी के लिए क्यों जरूरी है, इस पर अपने विचार देश के लोगों के सामने रखेंगे । जिससे देश की जनता तीनों काले कृषि कानूनों की भयानकता को समझकर "सविधान बचाओ - लोकतंत्र बचाओ - देश बचाओ" अभियान में किसान आंदोलन के साथ खड़ी हो सके ।
इस किसान संसद में सभी वर्गों को उनकी वास्तविक जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व के साथ ही, महिलाओं की 51% व गांव-गुवाड़ के किसान सांसदों की 80% प्रतिशत, व युवाओं की उचित भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास रहेगा । किसान संसद में सरकार के मंत्रिमंडल के साथ-साथ विपक्ष के छाया मंत्रिमंडल का भी गठन किया जाएगा । सरकारी पक्ष द्वारा कृषि विधेयको को रखे जाने के उपरांत तीनों कृषि विधेयकों के एक-एक पैरा पर किसान सांसदों द्वारा विस्तृत विवेचन किया जाएगा ।
जिस प्रकार से संसदीय प्रक्रिया के तहत एक-एक शब्द को लिपिबध्द किया जाता है, उसी प्रकार से किसान सांसदों के विचारों को लिपि बंद भी किया जायेगा । तीनों काले क़ानूनों को रद्द कराने व एमएसपी पर खरीद का गारंटी कानून बनवाने के लिए आम सहमति से एक मांग पत्र भारतीय संसद को भी भेजा जायेगा तथा आगे चलकर इसे देशव्यापी अभियान बनाया जाएगा ।
भारतीय लोकतंत्र के ऐसे संकटकालीन परिस्थिति में “किसान मोर्चा – राजस्थान” द्वारा “किसान संसद” के माध्यम से की गई यह सार्थक पहल लोकतंत्र को परिपक्व करने, कृषि कानूनों पर जनता में एक उचित समझ विकसित करने, तीन कृषि कानूनों की वापसी हेतु सरकार पर दबाव बनाने, किसान के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले नए कृषि कानून को बनाने तथा एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून बनाने की दिशा में यह मील का पत्थर साबित होगी ।
प्रेस वार्ता को प्रो.सी.बी.यादव, हिम्मत सिंह गुर्जर, सदर मोहम्मद नाजिमूद्दीन, हनुमाना राम चौधरी, मोहन लाल बैरवा, मनीराम मीणा, ताराराम मेहना, सुवालाल मीणा, कन्हैया लाल जाखड़, सुरेंद्र सिंह बावेल, धर्मेन्द्र आंचरा आदि किसान प्रतिनिधियों ने सम्बोधित किया।
15 सितम्बर को किसान मोर्चा करेगा जयपुर में किसान संसद