कैशलेस बीमा होने पर भी मनमानी रकम बसूल रहे निजी अस्पताल

ई एच सी सी, जवाहर सर्कल,जयपुर  मामला

 गोपाल गुप्ता 
(न्यूज पूल,सत्पक्ष पत्रकार मंच) 




वर्तमान में लगभग सभी निजी अस्पताल कैशलेस मेडिक्लेम बीमा के नाम पर अपने यंहा भर्ती मरीजों से मनमानी तरीके से रकम बसूल रहें है। जिनमे कुछ बड़े निजी अस्पतालों ने तो मरीजों के परिजनों को बेवजह मजबूर कर रकम ऐंठने का गोरखधंधा ही चला रखा हैं। कोरोना काल के चलते सरकारी अस्पतालों में अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों को बमुश्किल स्थान मिल पा रहा है इसका भरपूर फायदा निजी अस्पताल उठा रहें हैं। 

अस्पताल में आते ही निजी अस्पताल प्रशासन एक टोकन रकम मरीज के परिजनों से जमा करवा लेते हैं फिर अस्पताल में अलग से बना बीमा क्लेम कार्यालय टी पी ऐ (थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर) कैशलेस बीमा क्लेम की कागजी कार्यवाही करवाकर बीमा कंपनी से स्वीकृति आने के बाद अस्पताल प्रशासन मरीज का उपचार प्रारम्भ कर देता है जब मरीज के अस्पताल से छुट्टी का समय आता है उसके निर्धारित डॉक्टर द्वारा अंतिम निरिक्षण करके अस्पताल प्रशासन को को मरीज की छुट्टी हेतु अधिकतम दोपहर तक निर्देशित कर दिया जाता है। यंहा से प्रारम्भ होता है अस्पताल प्रशासन का सुनियोजित लूट का खेल, मरीज के परिजनों को कह दिया जाता है कि आज आपके मरीज को छुट्टी दे रहें हैं आप टी पी ऐ कार्यालय जाकर नो डयूज ले लो, मरीज के परिजन जब नो डयूज लेने टी पी ऐ कार्यालय पहुँचते हैं तो उन्हे अनेक तरह के बहाने जैसे अभी कोई सुचना हमारे पास नहीं आयी,बिल में कुछ कमी रह गयी दुबारा भेजना पड़ेगा, क्लेम गलत स्वीकृत किया है और अनेकों कारण गिनवा कर जितनी देरी कि जा सकती है करने का प्रयास किया जाता है। ऐसा चलते रात्रि के सात आठ बजा देतें हैं फिर टी पी ऐ कार्यालय बंद हो जाता है मरीज के परिजन को कह दिया जाता है अब तो कल सुबह कार्यालय खुलने पर ही कोई समाधान हो पायेगा इस तरह रात्रि आठ़ बजे बाद मरीज को एक दिन का अतिरिक्त भुगतान अस्पताल को करना होता है।
इसके अलावा लगभग सभी बीमा कंपनियों ने अस्पतालों से मरोजों के बिल पर कुछ छूट देने का करार कर रखा है जो बीमा कंपनी अस्पताल के बिल में से घटा लेती है और कुछ ऐसे चार्जेज जो मरीज को करने पड़ते हैं उनको भी कम कर दिया जाता है,जब मरीज के परिजन भुगतान हेतु जाते है तो जो भुगतान मरीज को करना है उसके अतिरिक्त बीमा कंपनी द्वारा अस्पताल से लिया गया डिस्काउंट भी मरीज से बसूल कर लिया जाता है, मरीज के परिजनों को पता होते हुए भी परेशान होकर मज़बूरी में भुगतान करना पड़ता है।

वर्तमान में कोरोना के चलते अस्पताल द्वारा मरीज के बिल में एन 95 मास्क, ग्लब्स इत्यादि के भी मनमानी चार्जेज अस्पतालों द्वारा जोड़े जा रहें हैं जिनका भुगतान बीमा कंपनी नहीं करती है वह भी मरीज को भुगतान करना पड़ता है, मरीज के परिजनों द्वारा पूछने पर कि मास्क और ग्लब्स तो हमें उपलब्ध ही नहीं कराये गए, अस्पताल प्रशासन का जबाब होता है कि वो स्टाफ के लिए होतें हैं, इस प्रकार से निजी अस्पतालों द्वारा कि जा रही खुली लूट को सरकारों द्वारा नहीं रोकना, सरकार की नियत पर भी सवाल खड़े करता है। कई बार तो निजी अस्पतालों द्वारा इन्ष्योरेष के चलते सामान्य बीमारी पर भी मरीज को भर्ती करके लम्बा चौडा बिल थमा दिया जाता है।

ऐसी ही एक घटना 19 जून को जयपुर के एक बड़े आस्पताल ई एच सी सी, जवाहर सर्कल मालवीय नगर द्वारा कि गयी, डॉक्टर ने अंतिम निरिक्षण करने के बाद मरीज को छुट्टी देने हेतु अस्पताल प्रशासन को सुबह ही सूचित कर दिया था, बीमा कंपनी द्वारा क्लेम स्वीकृत कर मरीज के मोबाइल पर सूचित कर सम्पूर्ण विवरण प्रपत्र भी भेज दिया गया, जब परिजन सांय 6 बजे टी पी ऐ कार्यालय नो डयूज लेने गए तो उपस्थित कर्मचारी सनी ने कहा कंपनी ने गलत क्लेम स्वीकृत किया गया है हम पुःन स्वीकृति हेतु भेज रहें हैं, इस तरह से मरीज के परिजनों को रात्रि आठ बजे तक जब नो ड्यूज नहीं दिया गया, परिजनों ने बीमा कंपनी में संपर्क किया वंहा से पता चला कि क्लेम बिलकुल सही स्वीकृत किया गया है आपको केवल 2639.00 कि रकम ही भुगतान करनी है जबकि अस्पताल प्रशासन द्वारा 7340.00 रुपये कि मांग कि गयी, परिजनों ने वंहा उपस्थित कर्मचारी अनीश नय्यर से बीमा कंपनी से बात कर समाधान करने कहा तो उसने सीधा जबाब दिया कि यह काम टी पी ऐ का है वो घर चले गए अब कल ही आएंगे में उनका मेल नहीं खोल सकता, मेरे पास जब तक लिखित सुचना नहीं होगी में नो ड्यूज नहीं दे सकता। जब बीमा कंपनी के प्रतिनिधि से अनीश कि बात करवाई तो उन्होंने भी टी पी ऐ कर्मचारी सनी से बात करने को कहा क्योंकि टी पी ऐ कर्मचारी सनी बात करने को राजी नहीं था बहुत प्रयाश के बाद अनीश ने बीमा कंपनी के प्रतिनिधि की अपने फोन द्वारा सनी से कॉन्फ्रेंस के जरिये बात करवाई तब तक रात्रि के दस बज चुके थे तब जाकर सनी ने क्लेम को निस्तारित करने हेतु अनीश को बोला। इस समस्त प्रकरण में बीमा कंपनी, अस्पताल एवं टी पी ऐ कर्मचारी सनी के कारण मरीज के साथ परिजन सुबह से रात्रि दस बजे तक परेशान होते रहे।