जनता ध्यान दे एवं सरकारें जवाब



 

क्या ????????


1. देश से भारी मात्रा में करीब 90 हजार मैट्रिक टन आक्सीजन देश से बाहर एक्सपोर्ट करके आक्सीजन की कृत्रिम कमी पैदा की गई, लाशों के अम्बार लगने पर पुन: देशहित में करीब 6 गुना कीमतों पर आक्सीजन इम्पोर्ट की गई, एक एक सांस को तड़पते मरीजों के परिजनों से आक्सीजन के नाम पर लूट मचाई जा रही है, इस लूट में लगभग सभी शामिल हैं,क्या नेता,क्या डॉक्टर,क्या अस्पताल,क्या मेडिकल माफिया,क्या मीडिया और क्या फॉर्मा ।

2. रेमडेसीमीर को अनावश्यक लूट की मंशा से जीवन रक्षक प्रचारित किया गया तथा इसकी भी कृत्रिम कमी पैदा कर लाचार मरीजों के परिजनों से एक—एक इंजेक्शन के 60—60 हजार रूपये वसूले गए हैं,वसूले जा रहे हैं और शायद वसूले जाते रहेगें जबकि एक साल पहले ही स्वयं डब्ल्यूएचओ ये कह चुका है कि कोविड—19 के इलाज में इस इंजेक्शन की कोई उपयोगिता ही नहीं है। इसे लेने वाले 90 प्रतिशत लोग शमशान पहुँच गए एवं जो 10 प्रतिशत बच गए वो गम्भीर साईड इफेक्ट्स से जूझते रहते हैं।

3. भारी जुर्माने व बीमारी का डर दिखाकर लोगों को नाक पर मास्क लगाकर अपनी सांस स्वयं ही घोटते रहने को मजबूर कर दिया है, इस बीमारी में मास्क वायरस को रोकता है इसका कोई प्रमाण किसी के पास नहीं है,डब्ल्यूएचओ के पास भी इसके औचित्य का कोई तर्क नहीं है परन्तु प्रोटोकाल के नाम पर लोगों की प्राकृतिक आक्सीजन को भी छीनकर उन्हें अनावश्यक ही बीमार बनाने का काम किया जा रहा है।

विदित हो कि एक सांस में जो हवा लेते हैं उसमें 21 प्रतिशत आक्सीजन,0.04 प्रतिशत कार्बन डॉई आक्साईड होती है। जब हम सांस छोड़ते हैं तो उसमें करीब 16.4 प्रतिशत आक्सीजन एवं 4.4 प्रतिशत कार्बन डॉई आक्साइड होती है। यानी 4.6 प्रतिशत आक्सीजन ही हमारे काम आती है और जहां तक कार्बन डाई आक्साइड का प्रश्न है हम मात्र 0.04 प्रतिशत कार्बन डाई आक्साइड लेकर करीब 4.4 प्रतिशत कार्बन डाई आक्साईड बाहर छोड़ते हैं।

सामान्य सा विज्ञान है, नाक पर मास्क लगाने से हमारे फेंफड़ों में जाने वाली हवा की मात्रा में कुछ प्रतिशत की कमी तो आती ही होगी,जब फेंफड़ों को हवा कम मिलेगी तो इस हवा में से हमारे खून में मिलने वाली आक्सीजन की मात्रा भी कुछ प्रतिशत तो कम होती होगी,जब आक्सीजन कम पहुँचेगी तो कोशिकाओं के माइट्राकांड्रिया में आक्सीजन व ग्लूकोज की रिएक्शन से बनने वाली ऊर्जा भी कुछ प्रतिशत तो कम बनती ही होगी,जब ऊर्जा ही कम बनेगी तो हमारा सांस तो फूलेगा ही।

इतना ही नहीं कोशिका में ऊर्जा निर्माण के समय जो घातक गैस कार्बन डाई आक्साइड बनती है वो भी जब नाक से बाहर निकलने की कोशिश करेगी तो कुछ मात्रा में कार्बन डाई आक्साइड हमारी अगली सांस में हवा के साथ पुन: हमारे फेंफड़ों में पहुँचती ही होगी ।

हम एक मिनट में करीब 20 बार , एक घंटे में 1200 बार , एक दिन में 28800 बार,एक महीन में 8 लाख 64 हजार बार एवं एक साल में 1 करोड 3 लाख 68 हजार बार इस प्रक्रिया को दोहराते हैं।

क्या बचपन में पढ़ा वो सबक गलत था जिसमें कहा गया था कि कभी भी पूरा मुँह ढक कर नहीं सोना चाहिए ?

आपको क्या लगता है हजारों से लेकर करोड़ो बार तक कम आक्सीजन लेकर आपके फेफड़े मजबूत बनेंगें या मजबूर ? और जब आपके फेफड़े मजबूर हो जाएगें तो आप पर कोरोना का टैग लगाकर आपके व आपके परिवार की जीवन—भर की कमाई लूट ली जाएगी, मृतक के अंग निकाल लिए जाएगें वो अलग।

मेरी केन्द्र व राज्य सरकार से अपील है कि या तो मास्क से होने वाली इस विकराल हानि पर अविलम्ब वैज्ञानिक सबूतों के साथ अपना तार्किक स्पष्टीकरण जारी करे अन्यथा डब्ल्यूएचओ के धूर्ततापूर्ण प्रोटोकाल के तहत प्रचारित मास्क लगाने के नियम को रद्द करे।

और हाँ सरकार चुप मत रहो, आपकी चुप्पी से हमें संदेह भी होता है और डर भी लगता है या तो हमारे तर्क का खण्डन करो या इस नियम को रद्द करो, हमें लगता है कि एक साल से लागू इस अवैज्ञानिक नियम ने इस देश को भयंकर रूप से बीमार बनाने में एक अति—महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।

जवाब जरूर दें क्योंकि देश की लाचार जनता लगातार काल के गाल में समा रही है।

4. भारी संख्या में निजी अस्पतालों में आरटीपीसीआर टैस्ट की फर्जी पॉजिटिव रिपोर्ट के आधार पर नकली कोविड मरीज भर्ती कर बैड़ों ,दवाओं , आक्सीजन का कृत्रिम अभाव पैदा कर दिया है। यूपी के एक भाजपा विधायक के हॉस्पीटल का एक आडियों सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें विधायक के दलाल द्वारा एक बैड़ के लिए 20 लाख वसूल करने की बेशर्म बातचीत की जा रही है। सरकार बताए कि उसके पास इस फर्जीवाड़े व लूट से निपटने का क्या प्लान है ?

5. मीडिया लोगों को दिन—भर भयभीत करने व नकारात्मकता से भरने का घातक कार्य कर रहा है जिससे डर के कारण लोगों की इम्यूनिटी तेजी से कम हो रही है।

6. बीमारी के डर व लॉकडाउन की नौटंकी ने पूरे देश को भुखमरी व बेरोजगारी की सुनामी में झौंक दिया है। सरकारों ने अपना पल्ला झाड़ लिया है और लोगों को आत्मनिर्भरता का संदेश दिया जा रहा है। अरे धूर्तों ! जब हमें ही आत्मनिर्भर बनना था तो आपको चुनने का लाभ क्या है ? कुछ नहीं कर सकते तो गद्दी छोड़ दो , कम से कम हमारा भ्रम भी दूर हो जाएगा और वो पैसा तो बच जाएगा जिसपर तुम ऐश कर रहे हो।

7. देश व विदेश के हजारों डॉक्टर,वैज्ञानिक व विचारक 'कोरोना को पैनडेमिक नहीं प्लानडैमिक बता रहे हैं', इटली की सांसद बिल गेट्स को वैक्सीन अपराधी बता रही हैं, महामारी आने से पहले ही उसके टैस्ट किट खरीद लिए जाते हैं, महामारी प्रारम्भ होने के चंद ही दिनों में वैक्सीन की करोड़ो डोज बन जाती हैं, फिर भी वैक्सीन की ट्राइल की नौटंकी करके जनता की आँखों में धूल झोंकी जाती है, ऐसे बहुत से प्रश्न हैं जिनपर डब्ल्यूएचओ एवं भारत सरकार ने चुप्पी साध रखी है, देश विदेश के कुछ जागरूक लोग कोरोना को षड़यंत्र बताते हुए सरकार,न्यायालय एवं जनता के दिमाग के दरवाजों को खटखटा रहे हैं वो भी सबूतों के साथ परन्तु खेला जारी है, जनता अकल की मारी है और लगातार बनती जा रही भिखारी है। आरोपों का खण्डन ना करना व चुप्पी साध लेना ये कहने और समझने के लिए काफी है कि 'दाल में काला नहीं पूरी दाल ही काली है'।

शर्म को भी शर्म आ रही है इन बेशर्मों की बेशर्मी पर । देशवासियों का वास्तविक मुद्दों की बजाय धर्म, जाति, दल और धनबल को महत्व देना ही इन धूर्तों व बेशर्मों की ताकत है। बेशर्मो ने आपदा में अवसर को खूब भुनाया है और भुना रहे हैं, जनता को भी अब आँखे खोलनी होंगी अन्यथा जल्द ही ये देश आँखें बंद कर लेगा । विकास की राजनीति का झांसा देकर लाशों पर राजनीति करने वालों से ये देश आखिर कब तक बच पाएगा। अत: जागो और जगाओ , दुष्टों को सबक सिखाओ। याद रहे सत्ता कितनी भी शक्तिशाली क्यों ना हो वो जनशक्ति के सामने हमेशा बौनी रही है और बौनी ही रहेगी बशर्ते हम आपस में नफरत घोलने वाले मुद्दों की बजाय अपने जीवन को सुविधाजनक बनाने वाले मुद्दों पर बहस छेड़ें,अपने जनप्रतिनिधियों को मजबूर करें। तर्क करें , तर्क दें और तर्क ही सुने , किसी की भी भक्ति में डूबकर देश को डुबोने में योगदान ना दें।

अंत में 'दुष्यंत' जी के शब्दों में देश की जागरूक जनता से एक निवेदन है कि

'' हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए,इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए। मेरे सीने में ही नहीं, तेरे सीने में भी हो अगर आग, तो वो आग जलनी चाहिए ।

अंतिम पंक्ति मैने आदतन थोड़ी बदल दी है।

जय हिन्द! जय भारत! जय जगत!

शुभेच्छु!
अनिल यादव
बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,जयपुर
9414349467